अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी के तत्त्वावधान में मुनि श्री जिनेश कुमार जी ठाणा – 3 के सान्निध्य में अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह का छट्ठा दिन अनुशासन दिवस के रूप में अणुव्रत समिति हावड़ा एवं कोलकाता द्वारा प्रेक्षा विहार में आयोजित किया गया। इस अवसर पर उपस्थित धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनिश्री जिनेश कुमार जी ने कहा कि जीवन विकास के महनीय सूत्रों में एक है- अनुशासन। अनुशासन का अर्थ है अपने आप पर नियंत्रण करना। अनुशासन के तीन प्रकार है – स्व. पर व तदुभय। अनुशासन व्यक्ति की चेतना को नियंत्रित कर अंतर की ज्योति को आवृत्त कर देता है। अनुशासन दमन नहीं प्रशिक्षण का सूत्र है। तेरापंथ धर्मसंघ की प्रवर्धमानता का हेतु है अनुशासन। अनुशासन के तीन आधार है- ममता, समता और क्षमता। अनुशासन एक चोट है उसे हर कोई आदमी सहन नहीं कर सकता है। जो बड़ों के अनुशासन को सहन करता है उसका निर्माण हो जाता है। आचार्य श्री तुलसी ने निज पर शासन, फिर अनुशासन का घोष प्रदान किया। उन्होंने धर्मसंघ में अनुशासन को विकसित किया अनुशासन प्रगति का पंथ है। अणुव्रत जीवन में अनुशासन लाता है। अनुशासित व्यक्ति ही अपने जीवन में प्रगति कर सकता है। अनुशासन से व्यक्ति जीवन में सफलता प्राप्त करता है। इस अवसर पर मुनि श्री परमानंद जी ने कहा कि व्यक्तिगत, सामाजिक व राष्ट्रीय अनुशासन का पालन करने से इंसान सुख-शांतिपूर्वक जीवन व्यतीत कर सकता है। इस अवसर पर बाल मुनि श्री कुणाल कुमार जी ने सुमधुर गीत का संगान किया।