साध्वीश्री शकुन्तला कुमारी जी के सान्निध्य में एक दिवसीय प्रेक्षाध्यान शिविर का आयोजन हुआ। उसमें लगभग ५० भाई-बहिनों की सहभागिता रही। कार्यक्रम का शुभारम्भ आत्म साक्षात्कार प्रेक्षाध्यान के द्वारा-गीत का संगान रेखा, कुसुम कोठारी ने किया। साध्वीश्री रक्षितयशा जी ने आनन्द भावना, मंगलभावना व कायगुप्ति की महत्ता बताते हुए प्रयोग करवाये। साध्वीश्री संचितयशा जी प्रेक्षाध्यान के इतिहास व स्वरूप का उल्लेख करते हुए एकाग्रता बढ़ाने के साथ साथ प्रयोग भी करवाया। साध्वीश्री शकुन्तला कुमारी जी ने कहा कि परमात्मा से साक्षात्कार करने का मार्ग है-ध्यान। ध्यान के बिना आत्मिक सुख की अनुभूति नहीं हो सकती । प्रेक्षाध्यान करके व्यक्ति आधि, व्याधि, उपाधियों से मुक्त होकर आत्मा में लीन हो जाता है, उसे संसार के भोग तुच्छ लगते है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को कम से कम 5 मिनट तो अपने आपको देखना चाहिए। लगभग ३०-३८ भाई बहिनों ने प्रतिदिन 5 मिनट ध्यान करने का संकल्प किया।
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