अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी के तत्वावधान में मुनि श्री जिनेश कुमार जी ठाणा-3 के सान्निध्य में अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह के पंचम दिवस नशा मुक्ति दिवस के रूप में अणुव्रत समिति, हावड़ा एवं कोलकाता द्वारा प्रेक्षा विहार में आयोजित किया गया।
इस अवसर पर उपस्थित धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनिश्री जिनेश कुमार जी ने कहा कि अणुव्रत आचार संहिता चारित्र निर्माण की आधारशिला व व्यक्तित्व निर्माण की सुदृढ पृष्ठ भूमि है। यह मानव जाति के सुधार एवं नैतिक उत्थान के लिए पावन संदेश है। यह मानवीय, नैतिक, आध्यात्मिक, आदर्शों का पवित्र मार्ग प्रशस्त करने वाली एक दीपशिखा है। अणुव्रत एक ऐसी मशाल है जो सम्पूर्ण जीवन पथ को ज्योतिर्मय बना सकती है। अणुव्रत नैतिक ज्योति है अणुव्रत से जुड़कर व्यक्ति स्व – पर का कल्याण कर सकता है। उन्होंने आगे कहा कि नशा व्यक्ति के पतन का द्वार है। मदिरा पान इंसान के लिए बहुत अहितकर है। मदिरा सर्व दोषों का कारण है। इससे शरीर शिथिल, इन्द्रियां क्षीण व बुद्धि विकार से ग्रसित हो जाती है। मदिरा हलाहल विष के समान होती है। इसके सेवन से व्यक्ति मूर्च्छा को प्राप्त होता है। नशा पारिवारिक सौहार्द को नष्ट करता है। नशे से मानसिक और भावनात्मक बीमारियाँ उत्पन्न होती है। आज नशा मुक्ति दिवस पर सभी को नशामुक्त रहते हुए दूसरों को नशामुक्त बनाने के लिए संकल्पित हो यह अपेक्षा है।
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