मुनिश्री आनंद कुमार जी ‘कालू’ ठाणा-२ के पावन सान्निध्य में अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह के अंतर्गत छठे दिन अणुव्रत समिति, अररिया कोर्ट द्वारा ’अनुशासन दिवस’ के रूप में स्थानीय तेरापंथ भवन में मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुनिश्री के महामंत्रोच्चार से हुआ। तत्पश्चात तेरापंथ महिला मंडल की बहिन कल्पना चिंडालिया, राजा देवी मालू, इंदु दुधेडिया एवं पूजा नाहटा द्वारा अणुव्रत गीत से मंगलाचरण किया गया।
मुनिश्री आनंद कुमार जी ‘कालू’ ने कहा की अनुशासन आधार संघ रो, अनुशासन ही प्राण है, अनुशासन है पंथ प्रगति रो, अनुशासन ही त्राण है, हो सन्तां ! ‘ज्योतिर्मय चिन्मय दीप’ हरै अन्धार हो।। आचार्य श्री तुलसी द्वारा तेरापंथ -प्रबोध का संघगान करते हुए कहा कि अनुशासन के बिना परिवार, समाज और राष्ट्र का विकास संभव नहीं है। आज अनुशासन की कमी पारिवारिक सामाजिक और राष्ट्रीय तीनों स्तरों पर महसूस की जा रही है वर्तमान युग में मुझे तो ऐसा लगता है अनुशासन के बिना परिवार में सुख शांति संभव नहीं है आत्मानुशासन अपने पर अपना अनुशासन। अगर हम प्रयोग करें तो आत्मानुशासन का बहुत विकास हो सकता है आचार्य श्री तुलसी का उद्घोष था की निज पर शासन – फिर अनुशासन मूल ध्येय आत्मा अनुशासन की है दूसरे के द्वारा किया गया अनुशासन दबाव का अनुशासन है जबकि स्वानुशासन संयम अपने द्वारा अपने पर किया जाता है वह ज्यादा प्रभावित होता है तेरापंथ धर्मसंघ को सदा सुरक्षित बनाए रखने वाला कवच है अनुशासन और मर्यादा, मुनिश्री ने कहा आत्म अनुशासन का विकास लोकतंत्र के लिए बहुत आवश्यक है परिभाषा में कहा गया है कि ये जनता के लिए जनता द्वारा, जनता का शासन। अनुशासन के लिए यही परिभाषा उपयुक्त है संयम के लिए संयम के द्वारा अनुशासन। अपने पर अपना अनुशासन एक आध्यात्मिक परिभाषा है जब आदमी की चेतना जागृत हो जाती है। तो वह स्वयं अपने ऊपर नियंत्रण करता है आत्म अनुशासन को समझने का किसी के पास कोई अवकाश ही नहीं है । आचार्य श्री तुलसी ने अणुव्रत के द्वारा धर्म के क्षेत्र में एक नई क्रांति की मुनि श्री ने अनुशासन के तीन भेद बताएं , आत्मानुशासन, परानुशासन, अभयानुशासन। इन तीनों पर विस्तार से समझाया। कार्यक्रम में ज्ञानशाल की मुख्य प्रशिक्षिका माला छाजेड़ ने आचार्य श्री तुलसी का मंत्र-‘निज पर शासन-फिर अनुशासन’ पर अपने विचारों के साथ ज्ञानशाला की प्रशिक्षिका ब्यूटी बेगवानी एवं पूजा नाहटा और ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों के साथ अनुशासन व नैतिकता का पाठ पढ़ाते हुए अपनी अभिव्यक्ति दी।
इस अवसर पर तेरापंथ सभा के अध्यक्ष धर्मचन्द जी चोरडिया, महिला मंडल की अध्यक्षा सरिता बेगवानी, तेरापंथ युवक परिषद के मंत्री प्रदीप चिंडालिया, गिधवास से योगेंद्र दास बिहारी, कन्या मंडल की संयोजिका समृद्धि बेगवानी, ज्ञानशाला के ज्ञानार्थी प्रतीक नाहटा, प्रांजल जैन, दिशा बेगवानी आदि ने गीतिका कविता एवम् मुक्तक के माध्यम से अनुशासन दिवस पर अपने विचार की अभिवायक्ति दी। अणुव्रत समिति के अध्यक्ष भंवरलाल जी बेगवानी द्वारा योगेंद्र दास को साहित्य सम्मान देकर सम्मानित किया गया। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियो को सभा अध्यक्ष धर्मचन्द जी चोरडिया एवं अणुव्रत समिति अध्यक्ष भंवरलाल जी बेगवानी द्वारा पुरस्कार दिया गया। कार्यक्रम का कुशल व सफल संचालन अणुव्रत समिति के मंत्री नितिन दूगड़ द्वारा किया गया एवं आभार व्यक्त अणुव्रत समिति के अध्यक्ष भंवरलाल जी बेगवानी द्वारा किया गया।
कार्यक्रम का समापन मुनि श्री आनंद कुमार जी ‘कालू’ के मंगल पाठ से हुआ।
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