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अनुशासन है जीवन का प्राणतत्व : कोटा

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अणुव्रत विश्व भारती के तत्वावधान में अणुव्रत समिति कोटा द्वारा अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह का छठा दिन अनुशासन दिवस के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर गुलाब बाड़ी स्थित तेरापंथ भवन में शासनश्री साध्वीश्री धनश्री जी के सान्निध्य में सभा का आयोजन हुआ। अणुव्रत समिति के श्री भूपेन्द्र बरड़िया के मंगल संगान के साथ कार्य क्रम का शुभारम्भ हुआ।
साध्वीश्री शीलयशा जी ने अपने व्यक्तव्य में कहा कि अनुशासन आज घर परिवार समाज एवं राष्ट्र सभी के लिये आवश्यक है। व्यक्ति पहले स्वयं पर अनुशासन करे फिर वह दूसरों को अनुशासित कर सकता है। आपने आचार्य श्री तुलसी द्वारा दिया नारा निज पर शासन, फिर अनुशासन की सार्थकता बताते हुए कहा कि अणुव्रत के नियम हमें अनुशासित जीवन जीने कि प्रेरणा देते हैं।
शासनश्री धनश्री जी ने अपने प्रेरणादायी उद्बोधन में बताया कि जहां अनुशासन है वहाँ सबके साथ न्याय होता है, समभाव होता है, अनुशासन में से रहने वाला सबके साथ समान व्यवहार करता है। अनुशासन करने की भी कला होती है, जो सहन करना जानता है वहीं अनुशासन में रह सकता है और अनुशासन भी कर सकता है आज तेरापंथ धर्म संघ में मर्यादा और अनुशासन ही प्राण तत्व है। आवश्यकता है कि पहले हम स्वयं अनुशासित हों फिर दूसरे पर अनुशासन करें। आपने अणुव्रतों की संकल्पों को आजीवन अपनाने की प्रेरणा दी।

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