अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी के तत्त्वावधान में युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री जिनेश कुमार ठाणा-3 के सान्निध्य में अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह के चतुर्थ दिन पर्यावरण शुद्धि दिवस के रूप में अणुव्रत समिति साउथ हावड़ा एवं कोलकाता द्वारा प्रेक्षा विहार में आयोजित किया गया।
इस अवसर पर उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए मुनि श्री जिनेश कुमार जी ने कहा विश्व के मानचित्र पर एक शब्द बहुत ही मुखरित है, वह है पर्यावरण। पर्यावरण का अर्थ है-परि $ आवरण अर्थात अच्छी तरह से ढकने का साधन। जो पृथ्वी को सभी ओर से आच्छादित किये रखता है। इस आच्छादन ऐसे सम्पूर्ण प्राणी जगत सुरक्षित रहता है। इसे स्वच्छ, संतुलित व शुद्ध बनाए रखना प्रत्येक व्यक्ति का नैतिक कर्तव्य है। व्यक्ति अपने स्वार्थ के खातिर पर्यावरण को प्रदूषित कर रहा है। अगर प्रदूषण दिनों दिन बढ़ता रहा तो इस पृथ्वी पर इंसान का जीना दूभर हो जायेगा। अणुव्रत का संदेश है कि व्यक्ति पर्यावरण के प्रति जागरूक रहे और वह पर्यावरण को प्रदूषित व नष्ट करने से बचे। बाह्य प्रदूषण से भी अधिक खतरनाक है वैचारिक प्रदूषण। अणुव्रत विचार शुद्धि का दर्शन है।
पर्यावरण दिवस पर शिक्षा सदन में विद्यार्थियोंश् के मध्य उद्बोधन देते हुए मुनिश्री जिनेश कुमार जी के कहा कि विद्यार्थी पर्यावरण के प्रति सजग रहे, वह सहिष्णु, विनम्र, श्रमशील व जागरूक रहे। विद्यार्थी नशा, व्यसन आदि बुराईयों से दूर रहे। मुनि श्री ने विद्यार्थियों को जीवन विज्ञान के भी प्रयोग बतायें। इस अवसर पर मुनि श्री परमानंद जी ने अणुव्रत गीत का संगान किया। विद्यालय प्रधानाध्यापक, ने अपने विचार व्यक्त किये। आभार ज्ञापन मंत्री विरेन्द्र बोहरा किया। इस अवसर पर अणुव्रत समिति अध्यक्ष दीपक जी नखत आदि पदाधिकारियों व कार्यकर्ता विशेष रूप से उपस्थित थे।
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