Jain Terapanth News Official Website

नशा मुक्ति दिवस का कार्यक्रम : अररिया कोर्ट

Picture of Jain Terapanth News

Jain Terapanth News

मुनिश्री आनंद कुमार जी ‘कालू’ ठाना- २ के पावन सान्निध्य में अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह के अंतर्गत पांचवें दिन अणुव्रत समिति अररिया कोर्ट द्वारा नशा मुक्ति दिवस के रूप में स्थानीय तेरापंथ भवन में मनाया गया।
कार्यक्रम का शूभारंभ मुनि श्री के महामंत्रोच्चार से हुआ। तत्पश्चात तेरापंथ महिला मंडल की अध्यक्षा सरिता बेगवाणी मंत्री सुरभि दूगड़ सहमंत्री कांता बेगवानी ने अणुव्रत गीत से मंगलाचरण किया। मुनि श्री विकाश कुमार जी ने आज नशा मुक्ति के पावन अवसर पर नवरात्रा के पावन उपलक्ष्य में 9 दिन की मौन की साधना पर मुनि श्री आनंद कुमार जी ‘कालू’ से वृहद मंगलपाठ सुना। मुनि श्री ने अपने मंगल पाथेय में धर्म सभा को सुशोभित करते हुए कहा कि नशा नाश का द्वार है, व्यसन मुक्त जीवन जीने का संकल्प युवा पीढ़ी को करना चाहिए। मादक पदार्थ शराब गंजा चरस हीरोइन पान तंबाकू आदि का सेवन जीवन में कभी नहीं करना चाहिए। अणुव्रत आचार संहिता के दसवें नियम में सभी वयक्ति के भीतर समाज एवं नशा मुक्ति के प्रति प्रेम करुणा और भावना आदि की उजागर करके शांति और सुख प्रदान करने वाले है, वही मादक एवं नशीले पदार्थों के सेवन से बचने के नियम शारीरिक स्वास्थ के साथ साथ मानसिक एवं पारिवारिक शांति प्राप्त करने का श्रेष्ठ उपाय है। मुनि श्री ने कहा आहार शुद्धि, व्यसन मुक्ति युवा पीढ़ी के लिए मांस, शराब आदि अभक्ष्य तथा नशीले पदार्थ का सेवन और संपर्क भी वर्जित है। जैन श्रावक की चर्या सहज रूप में व्यसन मुक्त होती है, इतने कभी किसी तर्क का अवकाश ही नहीं है। खान पान का संयम सबसे पहला अवसर है, खान, खाद्य संयम, सवाध्याय, की पहेली सहज रूप से सुलझ जाती है।
मुनिश्री ने आहार शुद्धि पर बल देते हुए कहा हर नरम विषय पर यही बात बताते है सात्विक राजशिक और तामसिक आहार के बारे में भी बाते मनीषियों ने काफी बताया है। मध, मांस, अंडा का सेवन व रखकर आहार के बारे मे चिंतन किया गया है, चिंतन का दूसरा हिस्सा नशीले पदार्थाे से संबधित है। आचार्य श्री तुलसी ने जैन जीवन शैली के आखिरी सूत्र का प्रतिभाग है आहार शुद्धि और व्यसन मुक्ति। स्वस्थ और संतुलित जिंदगी के लिए आहार शुद्धि आवश्यक है। शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ की वृद्धि के लिए आहार शुद्धि की प्रमुख भूमिकाएं हैं। अपराधो से बचने के लिए नशामुक्ति आवश्यक है। व्यसन मुक्ति के साथ भी यह सब उद्देश्य जुड़े हुए है। केवल धार्मिक दृष्टि से ही नही पारिवारिक एवं सामाजिक स्वस्थता के लिए भी आहार शुद्धि व व्यसन मुक्ति के सिद्धांत पर विचार करना आवश्यक लगता है। श्रमण परंपरा में बौद्ध धर्म ने मादक पदार्थों का निषेध किया है। जैन धर्म अनुसार मांसाहार को निषेध माना गया है। ये भगवान महावीर की प्रमुख अवदान है। उन्होंने कहा युवा पीढ़ी को व्यसन मुक्त रहना चाहिए। उनके खान पान में मांस और अंडे का समावेश नही हो और इसका मिश्रण भी नही होना चाहिए। पनपराग, जर्दा युक्त गुटखा, अफीम, शराब, हीरोइन आदि नशीले पदार्थों का सेवन पूर्णतः वर्जित होना चाहिए। आचार्य श्री तुलसी ने अणुव्रत के माध्यम से नई दृष्टि प्रदान की है, आहार शुद्धि और व्यसन मुक्ति के साथ खान पान के संयम पर भी बल दिया।
कार्यक्रम में अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के महामंत्री अमित जी नाहटा विशेष रूप से उपस्थित थे। अमित जी नाहटा ने व्यसन मुक्त दिवस पर विस्तार से अपने विचारो की अभिव्यक्ति दी। अणुव्रत समिति के अध्यक्ष भंवरलाल जी बेगवानी ने सभी का स्वागत और आभार व्यक्त किया और अभातेयूप महामंत्री अमित जी नाहटा को साहित्य सम्मान देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन अणुव्रत समिति के मंत्री नितिन दूगड़ ने किया। इस अवसर पर गिद्धवास से समागत योगेंद्र दास बिहारी, तेरापंथ सभा अध्यक्ष धर्मचंद जी चोरडिया,महिला मंडल की मंत्री सुरभि दूगड़ व ज्ञानशाला की प्रशिक्षिका ब्यूटी बेगवानी, तेरापंथ युवक परिषद के पूर्व अध्यक्ष बिरेंद्र भूरा, कन्या मंडल से आंचल हीरावत आदि ने नशा मुक्ति पर अपनी अभिव्यक्ति दी। कार्यक्रम का समापन मुनि श्री आनंद कुमार जी ष्कालूष् के मंगल पाठ से हुआ।

इस पोस्ट से जुड़े हुए हैशटैग्स