डॉक्टर मुनिश्री आलोक कुमार जी, मुनिश्री हीमकुमार जी के सान्निध्य में अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह का दूसरा दिन अणुव्रत प्रेरणा दिवस मनाया गया, जिसमें विशेष अतिथि नवनिर्वाचित जीतों के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमान विजयजी भंडारी एवं पुणे चौप्टर के जीतो के अध्यक्ष श्रीमान इंद्कुमारजी छाजेड़ थे। कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. मुनिश्री आलोक कुमार जी के मुखारविंद से नमस्कार महामंत्र से हुई, फिर अणुव्रत समिति द्वारा मंगलाचरण हुआ। मुनि श्री हिमकुमारजी ने गीत का संघान किया।
मुनि श्री आलोक कुमार जी ने कहा अणुव्रत का प्रथम घोष है संयम ही जीवन है संयम के बिना आत्म अनुशासन जीवंत नहीं रहता और आत्म अनुशासन के बिना लोकतंत्र जीवन सफल नहीं होता अणुव्रत आत्म अनुशासन की आचार संहिता है मानवीय एकता जातिवाद का अस्वीकार तथा सांप्रदायिक वैचारिक सहिष्णुता का दृष्टिकोण बनता है अणुव्रत के प्रशिक्षण का अर्थ है लोकतंत्र का प्रशिक्षण।
आदमी की आदत होती है कि वह स्वयं के नहीं दूसरों के दोस् अधिक देखता है आदमी दूसरों के दोस में रस लेता है क्योंकि उसे दूसरा व्यक्ति ही दिखाई देता है कभी आदमी को स्वयं की दुर्बलता का एहसास हो भी जाए तो वह जैसे तैसे उसे ढकने का ही प्रयास करता है। श्री विजय जी भंडारी ने जीतो की अनेक योजनाओं के बारे में बताया। श्री इंदर जी छाजेड़,सभा अध्यक्ष महावीर कटारिया, तेममं अध्यक्ष पुष्पा कटारिया, अणुव्रत समिति पुणे अध्यक्ष धर्मेंद्र चोरड़िया सभी ने अपने अपने विचार व्यक्त किए। सभी संस्थाओं के अध्यक्ष मंत्री समाज के सभी गणमान्यवर उपस्थित थे। संचालन पुष्पा कटारिया ने किया।
