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अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह का तीसरा दिन ‘अणुव्रत प्रेरणा दिवस’ के रूप में मनाया गया : अररिया कोर्ट

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‘भगवान महावीर अणुव्रत के प्रवर्तक थे आचार्य श्री तुलसी अणुव्रत आंदोलन के प्रवर्तक थे’, मुनि श्री आनंद कुमार जी ‘कालू’ ने शहर के अररिया कोर्ट स्थित तेरापंथ सभा भवन में मुनिश्री आनंद कुमार जी ‘कालू’ ठाणा-2 के पावन सान्निध्य में अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह के अंतर्गत तीसरे दिन ‘अणुव्रत प्रेरणा दिवस’ के रूप में अणुव्रत समिति के तत्वावधान में मनाया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ मुनि श्री आनंद कुमार जी ‘कालू’ के महामंत्रोच्चार के साथ हुआ। आज विशेष रूप से शक्ति जागरण पर नवरात्रा के उपलक्ष में मुनि श्री विकास कुमार जी ने परिषद के बीच मुनिश्री आनंद कुमार जी ‘कालू’ से -9- दिनों तक मौन की साधना का संकल्प लिया। मुनि श्री आनंद कुमार जी ‘कालू’ ने अणुव्रत प्रेरणा दिवस पर आधारित ‘जय जय श्री महाश्रमण का, पावन अभिधान सुहाये, ज्योतिर्मय महा सितारे, जन-जन को राह दिखाये सुमधुर ध्वनि के साथ’ भावपूर्ण गीतिका प्रस्तुत कर उपस्थित श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया।
इस अवसर पर मुनि श्री ने अपने मंगल पाथेय में आयोजित धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि भगवान महावीर अणुव्रत प्रवर्तक थे तो आचार्य श्री तुलसी अणुव्रत आंदोलन के प्रवर्तक थे भगवान महावीर ने श्रावक के लिए बारह व्रतों की व्यवस्था दी। आचार्य श्री तुलसी ने श्रावक के लिए अणुव्रत की आचार संहिता के ग्यारह नियमो के संकल्पों को दौराऐ। मुनि श्री ने उपस्थित श्रद्धालुओं को यथा संभव ग्यारह नियमों के संकल्प करवाए, आचार्य श्री तुलसी दिव्य पुरुष थे। शक्तिधर आचार्य थे। दिवा स्वप्नद्रष्टा आचार्य थे। उन्होंने जो भी स्वप्न देखे, साकार हुए। उनका विजन विलक्षण था, सोच दूरगामी था, चिन्तन में नव्य नूतन स्फुरणाएं थीं। उन्होंने संघ को नया निखार दिया। एक सम्प्रदाय की परिधि में रहते हुए भी सार्वजनीन लोक-कल्याण की बात सोची। अणुव्रत आंदोलन का सूत्रपात जनोद्धार की दृष्टि से पूज्य प्रवर ने वि.सं. २००५ फाल्गुन शुक्ला द्वितीय (ई. सन् १ मार्च, १९४९) सरदारशहर (चूरू, राज.) में किया।
अणुव्रत एक नैतिक आचार संहिता है। जाति, लिंग, भाषा, वर्ग, सम्प्रदाय आदि से ऊपर उठ कर यह आंदोलन अपना काम करता रहा है। उन्होंने बताया की स्वर्गीय राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, डॉ० राधाकृष्णन प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू, आचार्य विनोबा भावे, सर्वाेदयी नेता जयप्रकाश नारायण, मौलाना अब्दुल कलाम आजाद, डॉ. जाकिर हुसैन एवं डॉ. सम्पूर्णानन्द आदि शीर्षस्थ नेताओं ने इस अभियान की भूरि-भूरि प्रशंसा की।
स्वर्गीय प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री ने कहा-‘आचार्य श्री तुलसी ने अणुव्रत आन्दोलन के रूप में हमें एक चिराग दिया है, एक ज्योति दी है। बर उसे लेकर हम अनैतिकता के तिमिराच्छन्न वातावरण में नैतिक पथ प्राप्त कर सकते हैं।’ पूर्व प्रधानमंत्री श्री मोरार जी देसाई ने कहा- राष्ट्रीय चरित्र निर्माण और उन्नयन की दिशा में अणुव्रत एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
संत विनोबा भावे ने कहा- ‘सेवा और संयम पर आधारित आचार्य श्री तुलसी का आन्दोलन अणुव्रत प्रभावशाली होगा।’
जैन दिगम्बर परम्परा के मनीषी प्रवर संत विद्यानंद जी ने कहा- आचार्य श्री तुलसी ने अणुव्रत के रूप में एक व्यापक कार्यक्रम दिया है। मानव समाज को आचार्य श्री की यह महान देन है। मुनि श्री आनंद कुमार जी ‘कालू’ ने कहा अणुव्रत उद्‌गाता आचार्य श्री तुलसी का एक ही लक्ष्य था कि अणुव्रत मानव में छिपे मानवीय गुणों को जगा सके, मानव को मानव बना सके। ‘अणुव्रत’ आचार्य तुलसी का संपूर्ण मानव जाति के लिए अद्भुत योगदान है। जो आचार्य तुलसी के इस महान अवदान को अपना लेता है, उसे सुखी एवं शांत जीवन का वरदान स्वतः ही प्राप्त हो जाता है। कार्यक्रम में तेरापंथ युवक परिषद के भूतपूर्व अध्यक्ष बीरेंद्र जी भूरा द्वारा अणुव्रत गीत प्रस्तुत किया गया। अणुव्रत समिति के अध्यक्ष श्री भंवर लाल जी बेगवानी ने स्वागत व प्रकट किया। इस मौके पर गिद्धवास से समागत श्री जोगेंद्र दास, (बिहारी) अणुव्रत समिति के पूर्व उपाध्यक्ष श्री महावीर जी अग्रवाल, नेपाल बिहार के पूर्व अध्यक्ष श्री भैरू दान जी भूरा, तेरापंथ महिला मंडल की पूर्व अध्यक्ष ज्योति जी बोथरा ने अणुव्रत प्रेरणा दिवस पर अपने विचारों की अभिव्यक्ति दी। मंच का कुशल व सफल संचालन अणुव्रत समिति के मंत्री नितिन दुगड द्वारा किया गया, कार्यक्रम का समापन मुनिश्री आनंद कुमार जी कालू के मंगल पाठ से हुआ।

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