अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी के तत्वावधान में मुनि श्री जिनेशकुमार जी ठाणा-3 के सान्निध्य में प्रेक्षा विहार में अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह के दूसरे दिन अन्तर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस का कार्यक्रम का सफल आयोजन अणुव्रत समिति हावड़ा एवं कोलकता द्वारा आयोजित किया गया। अंहिसा दिवस पर उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित करते हुए मुनिश्री जिनेश कुमार जी ने कहा धर्म जीवन का शाश्वत मूल्य है। यह एक सार्वभौम तत्व है। आत्म साक्षात्कार या सत्य के साक्षात्कार की प्रक्रिया का नाम धर्म है’ धर्म एक अखंड चेतना है। इसे टुकड़ों में विभक्त करना कठिन है धर्म का एक प्रायोगिक रूप है- अणुव्रत। अणुव्रत जागृति की प्रयोगशाला है अणुव्रत हृदय परिवर्तन की प्रक्रिया है। मुनि श्री ने आगे कहा-साधना का प्रथम व अंतिम बिन्दु अहिंसा है। अहिंसा सार्वभौम तत्त्व है। अहिंसा भारतीय विचार धारा की विश्व को अद्भूत देन है। अध्यात्म की आत्मा अहिंसा है। सत्चित्त आनंद की अनुभूति ही अहिंसा है। अहिंसा से ही विश्वशांति संभव है जहाँ हिंसा है वहाँ अराजकता है अत्याचार है। अशांति है। व्यक्ति सत्ता के उन्माद में हिंसा करता है गरीबी, अमीरी, अशिक्षित तनाव, वैर, आवेश में आकर हिंसा करता है हिंसा से अपराध बढता है। आवश्यकता है कि व्यक्ति हिंसा को छोड़ अहिंसा की साधना करे।
मुनिश्री ने आगे कहा महात्मा गांधी सत्य अहिंसा के प्रजारी थे। उनका जीवन सादगी व संयम वाला था । उनकी हर प्रवृति में अहिंसा का भाव ज्यादा रहता है। उनके भीतर मानवता, करुणा, दया का भाव रहता था। लालबहादुर शास्त्री का जीवन भी सादगी मय था।
कार्यक्रम का शुभारंभ बाल श्री मुनि कुणाल कुमार जी के मंगला चरण से हुआ। उपासक संजय पारख ने कविता प्रस्तुत की। मुख्य वक्ता शिक्षा सदन के मुख्य अध्यापक गौतम शर्मा ने अहिंसा और महात्मा गांधी पर अपने ओजस्वी विचार व्यक्त किए। अणुविभा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री प्रताप दुगड़, अणुव्रत समिति हावड़ा के अध्यक्ष श्री दीपक नखत, अणुव्रत मीडिया के संयोजक श्री पंकज दुधोडिया, अणुविभा के विशेष आमंत्रित सदस्य श्री विकास दुगड़, श्री प्रदीप सिंघी की उपस्थिति रही। आभार मंत्री विरेन्द्र बोहरा ने किया। कार्यक्रम का संचालन बाल मुनि कुणाल कुमार जी ने किया।