साध्वीश्री मधुस्मिताजी के सान्निध्य में साध्वी श्री काव्यलता के निर्देशन में अणुव्रत उदबोधन सप्ताह के अंर्तगत अहिंसा दिवस आयोजित किया गया। साध्वी श्री काव्यलता जी ने साध्वी श्री मधुस्मिताजी की आज्ञा से आगामी नव दिवसीय जप अनुष्ठान तप के साथ करने की प्रेरणा दी।
अहिंसा दिवस पर मंगलाचरण तपस्वी सेवाभावी सुश्रावक श्रीमान छित्तर मल जी मेहता ने अणुव्रत गीत का संगान कर किया। मोटेरा से पधारे सुश्रावक श्रीमान लक्ष्मीपत जी बोथरा ने अहिंसा दिवस पर अपने विचार व्यक्त किए। अणुव्रत समिति अध्यक्ष श्रीमान प्रकाश जी धींग ने आज के विषय पर प्रकाश डाला।
साध्वी श्री जी ने कहा अहिंसा का अर्थ है मन,वचन, काया से हिंसा न करना। मन में किसी जीव के प्रति हिंसा के भाव न आए। वचन से किसी का मन न दुखे। क्योंकि वचन के द्धारा दिया घाव भरना कठिन हो जाता है। संकल्प पूर्वक किसी जीव की हिंसा न करें। परम् पूज्य गुरुदेव अहिंसा के पुजारी हैं, परम् साधक हैं। हम हमारे घर में शान्ति एवम् सहिष्णुता का वातावरण बनाएं तभी अहिंसा की साधना हो सकती है।
दैनिक प्रवचन के अंतर्गत साध्वी श्री जी ने जीव (व्यक्ति) के विकास के बाधक तत्वों की चर्चा की। उसके 5 कारणों को विस्तृत रूप में व्याख्यायित किया। अहंकार, क्रोध, प्रमाद, रोग, शत्रु। इन बाधक तत्वों का परिष्कार कर हम आरोग्य बोधि, चित्त समाधि को प्राप्त कर सकते हैं।
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