मुनिश्री यशवन्तकुमार जी, मुनिश्री मोक्षकुमार जी के सान्निध्य में स्थानीय एस.एन. वोहरा राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय जसोल मे बुधवार को प्रातः आठ बजे अणुव्रत समिति, जसोल के तत्वावधान मे अणुव्रत उद्बोधन का दूसरा दिवस अहिंसा दिवस के रूप मे मनाया गया।
सर्वप्रथम मंगलाचरण संयममय जीवन हो अणुव्रत समिति के प्रचार प्रसार मंत्री डुंगरचन्द बागरेचा ने किया व स्वागत भाषण अणुव्रत समिति पारसमल गोलेच्छा ने प्रस्तुत किया। अध्यापक ओमप्रकाश आर्य ने विचार व्यक्त करते कहा कि गांधी जी ने अंग्रेजों से भारत को आजाद कराने मे बहुत महत्वपूर्ण भुमिका रही वो हमेशा सच अहिंसा ओर सत्याग्रह पर चलते थे। मुनिश्री मोक्षकुमार जी ने उद्बोधन देते हुए कहा कि सत्य, एवम अहिंसा मे बहुत बल है, अहिंसा मे ही शक्ति है जो किसी कार्य को करने मे तत्पर है। गांधी जी का जीवन भी सामान्य था। लेकिन सामने खड़ी विपत्ति से लड़ने के लिए पास दो रास्ते थे। एक हिंसा – एक अहिंसा उन्हे अहिंसा को चुना उनका मानना था शान्ति मे जो ताकत है वो युद्ध में नहीं है। प्रधानाध्यापक नारायण दत्त खत्री ने कहा कि भारत देश मे जैन धर्म एवम बौद्ध के प्रवर्तक महावीर भगवान बुद्ध ने सत्य एवम अहिंसा के सिद्धांत का महत्व सदैव सभी के सामने रखा। भगवान बुद्ध का जीवन भी अहिंसा के पथ पर मिली शान्ति का एक उदाहरण है। सब धर्माे का आदर से देखने और सत्य अहिंसा को जीवन में अपनाने की शिक्षा दी गांधीजी विश्व को शान्ति का सन्देश दिया। पूर्व सरपंच भंवरलाल भंसाली ने कहा कि गांधी ने विश्व शांति अहिंसा एवम आपसी सौहार्द की स्थापना की व भारत को अहिंसा के द्वारा आजादी दिलाई उन्होंने आदर्श शान्तिपूर्ण एंव अहिंसक समाज के निर्माण के लिए वातावरण बनाया सबसे पहले अहिंसा परमो धर्मः गांधी ने कहा कि अहिंसा ही धर्म है वही जिन्दगी का रास्ता है। स्कूल के प्रधानाध्यापक नारायणदत खत्री, पूर्व सरपंच भंवरलाल भंसाली को अणुव्रत समिति के द्वारा अणुव्रत दुपट्टा पहनाकर स्वागत अभिनंदन किया व स्कूल अध्यापकगण अध्यापिकाओ एवं विद्यार्थीयो ने संयम संकल्प पत्र भरवाए गए। आभार व्यक्त अणुव्रत समिति के प्रभारी श्रीमति लीला सालेचा ने किया संचालन सफरुखान ने किया। इस अवसर पर स्कूल के अध्यापकगण व अध्यापिकाओं एवं स्कूल के लगभग 500 विद्यार्थी उपस्थित हुए।
