अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के तत्वावधान में तेरापंथ महिला मंडल मण्डिया द्वारा आयोजित ‘चित्त समाधि कार्यशाला’॔ का आयोजन साध्वी श्री संयमलता जी ठाणा-4 के पावन सान्निध्य में दिनांक 26 सितंबर, 2024 को तेरापंथ भवन में आयोजित हुआ।
कार्यक्रम के तीन चरण हुए। कार्यक्रम का प्रारंभ साध्वीश्री जी के मंगलपाठ से हुआ। कार्यक्रम के प्रथम चरण में मैसूर से पधारे हुए योगा ट्रेनर संतोष जी कोठारी ने 1 घंटे की क्लास ली उसमें महिलाओं को योगासन ,स्वास प्रेक्षा अनुलोम विलोम, प्राणायाम करवाए और कलर के माध्यम से ह्यूमैनिटी पावर कैसे स्ट्रांग रहता है वह बताया गया और कहा कि हर व्यक्ति को अपने जीवन में आधा घंटा अपने लिए निकलना चाहिए योग प्राणायाम करना चाहिए और कहा कि तभी यह कार्यशाला सफल होगी और अपने बच्चों को भी करना चाहिए।
कार्यक्रम के दूसरे चरण में साध्वी श्री जी का सान्निध्य प्राप्त हुआ साध्वी श्री मार्दवश्री जी ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए कहा कि कैसे हम अपने घर को स्वर्ग बना सकते हैं। योग और प्रेक्षा ध्यान के द्वारा साध्वी श्री जी ने अनेक प्रयोग करवाएं।
महिला मंडल की बहनों ने चित्तसमाधि पर गीतिका द्वारा मंगलाचरण किया। साध्वी श्री रौनक प्रभा जी ने एक सिकंदर की कहानी के माध्यम से हमें समझाया और कहा कि हमारा मन अच्छा रहना चाहिए हमारा मन अच्छा रहेगा तो चित्त समाधि में रहेगा। तेरापंथ महिला मंडल की अध्यक्षा पूनम जी बोहरा ने कार्यशाला में संभागीय सभी भाई- बहनों का स्वागत अभिनन्दन किया।
साध्वी श्री संयमलता जी ने अपने उद्बोधन में कहा स्वस्थ परिवार स्वस्थ समाज योजना के अंतर्गत ‘चित्तसमाधि कार्यशाला’ रखी गई है। चितसमाधि का अर्थ है चित्त की निर्मलता, उन्होंने कहा कि जिंदगी में हमें तीन भाग में खजाना मिला बचपन, यौवन, बुढ़ापा, एबीटीएम समय समय पर ऐसी कार्यशाला करते हैं जिससे हमारी जिंदगी में परिवर्तन करना चाहिए चित्रसमाधि कार्यशाला के माध्यम से हमें अपने जीवन में क्षमता का भाव रखना चाहिए सहिष्णुता होनी चाहिए। हर कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए वीरता, गंभीरता का होना जरूरी है। जिस घर में बड़े बुजुर्गों का सम्मान होता है वह घर स्वर्ग के समान होता है हमें अपने माता-पिता का सम्मान करना चाहिए चित्त में आनंद और समाधि हो, सास-बहू, पिता- पुत्र, नंद -भाभी हो चाहे, गुरु शिष्य हो सभी को समन्वय की वृद्धि का विकास करना होगा और पुरातन एवं नवीनतम दोनों विचारों का संतुलन रखना होगा तथा अनुकूल प्रतिकूल स्थिति आने पर भी संतुलन रहेगा तो व्यक्ति को जीवन में सदा आत्मा में शांति, आनंद एवं समाधि प्राप्त होगी। साध्वी श्री जी ने अपने उदाहरण द्वारा सरल तरीके से समझाया। हर सांस अपनी बहू के बारे में ऐसा सोच जो वह नहीं करती उसको छोड़कर जो करती है उसके बारे में सोचे फिर आप देखे आपस में प्रेम कैसे रहेगा। अपने अंदर उत्साह हो तो चाहे उम्र 80 की हो तो भी हम क्या नहीं कर सकते।
कार्यक्रम के तीसरे चरण में मैसूर से पधारे हुए उपासीका वनीता जी बाफना ने कहा कि हमें क्रोध को वश में करना चाहिए क्रोध आने पर तुरंत रिएक्ट नहीं करना चाहिए शांत रहना चाहिए और अनेक प्रयोग के द्वारा क्रोध को कैसे शांत किया जाता है बताते सभी को अच्छी तरह से समझाया।
इस अवसर सभी साध्वीवृंद ने सुमधुर प्रेरणादायक गीतिका का संघान किया। साध्वी श्री द्वारा मंगलपाठ के साथ चित्तसमाधि कार्यशाला समापन हुआ। महिला मंडल की बहनों ने बहुत उत्साह के साथ कार्यशाला में भाग लिया। पधारे हुए सभी का आभार ज्ञापन महिला मंडल मंत्री टिना दक ने किया।
