स्थानीय न्यू तेरापंथ भवन में आज प्रेक्षाध्यान के 50 वर्षों की सम्पन्नता पर प्रेक्षा कल्याण वर्ष का शुभारम्भ किया गया। प्रेक्षा गीत से कार्यक्रम की शुरुआत की गई। साध्वीश्री मंगलयशा जी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि प्रेक्षा ध्यान का आगाज हमारे धर्मसंघ के आचार्य श्री तुलसी और आचार्य श्री महाप्रज्ञजी की मानव मात्र को बहुत बडी देन है। भगवान महावीर ने भी ध्यान की साधना की । स्वयं सत्य खोजे यह प्रेक्षा ध्यान का मूल मंत्र हैं। हम सभी प्रतिदिन 10 मिनिट प्रेक्षाध्यान करके अपने जीवन की दिशा बदल सकते है। साध्वीश्री भास्कर प्रज्ञाजी ने कहा ध्यान आत्म शोधन का उपाय है जिसमे व्यक्ति भीतर में बसे अपने अवगुण क्रोध, मान, माया और लोभ जैसे बडे अवगुण समाप्त कर सकता है। ध्यान की परम्परा वर्षों से हैं आज जब यह पुनः हमारे जीवन में आई है तो हम इसका पूरा लाभ उठाने और आत्मा को शुद्ध करने का प्रयास करे। साध्वीश्री साम्यप्रभा जी ने प्रेक्षाध्यान के प्रयोग करवाए।
पुज्य गुरुदेव द्वारा प्रदत संदेश का वाचन प्रेक्षावाहिनी के संवाहक जवेरीलाल सालचा ने किया। कार्यक्रम में ध्यान के बारे में विशेष सुचना और शिविर की जानकारी प्रशिक्षक ममता गोलेच्छा ने दी। कार्यक्रम में भाई बहनो की अच्छी उपस्थिती रही एवं कई भाई बहिनो ने प्रतिदिन 10 मिनिट ध्यान करने का संकल्प किया । साध्वीश्री द्वारा मंगल पाठ से कार्यक्रम संपन्न हुआ।
