स्थानीय तेरापंथ भवन में आज प्रातः अणुव्रत उद्धबोधन सप्ताह के प्रथम दिवस का कार्यक्रम प्रारम्भ हुआ। साध्वीश्री मंगलयशा जी ने आज के विषय साम्प्रदायिक सौहार्द दिवस पर कहा कि मनुष्य निर्माण में अणुव्रत की महत्वपूर्ण भूमिका है। आचार्य तुलसी कार्य में विश्वास करते थे। मानव मात्र के निर्माण के लिये आचार्य तुलसी ने एक क्रांतिकारी कदम उठाया। अणुव्रत एक संजीवनी है मनुष्य के भीतर कई प्रकार के विचार चलते है, जिनका निराकरण करने हेतु सर्व समाज को अणुव्रत जैसे महाअभियान से साक्षात्कार करवाया। सभी धर्म और संप्रदाय में सौहार्द बना रहे यह अणुव्रत से संभव हो सकता है। अब हमारी जिम्मेवारी है कि हम इसे अपने जीवन में कैसे ग्रहण करे और अन्य व्यक्तियों को भी इसका लाभ कैसे मिले यह प्रयास निरन्तर करना अनिवार्य है साध्वीश्री भास्कर प्रभाजी ने कहा कि भगवान महावीर ने दो मालाओ का जिक्र किया। एक छोटी एक बडी, विरला व्यक्ति ही महाव्रत को स्वीकार कर पाता है मगर अणुव्रत प्रत्येक व्यक्ति धारण कर सकता है। सम्प्रदाय और धर्म अलग है। धर्म मूल हो सम्प्रदाय गौण, धर्म के मर्म को समझे और उसे जीवन में उतारे यही अणुव्रत की परिभाषा है। साध्वीवृंद द्वारा गीत की प्रस्तुति की गई। कार्यक्रम का शुभारंभ अणुव्रत गीत से किया गया। कार्यक्रम मे भाई बहनो की बहुत अच्छी उपस्थिती रही। सभी संस्थाओ ने कार्यक्रम में भाग लिया। साध्वीश्री जी के मंगलपाठ से कार्यक्रम समापन हुआ। कार्यक्रम का संचालन जवेरीलाल सालेचा ने किया।
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