डॉक्टर मुनि श्री आलोक कुमार जी, मुनिश्री हिम कुमार जी, स्थानक संप्रदाय से डॉक्टर मुनि श्री गौरव कुमार जी के सान्निध्य में तेरापंथ भवन कोंडवा में अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह का पहला दिन अणुव्रत संप्रदाय सौहार्द दिवस मनाया गया। जिसमें ठा सरितादिदी राठी ओम शांति ब्रह्माकुमारी से, श्री स्वामी सुरेन्द्र सरस्वती जी ओशो रजनीश आश्रम से, श्री तेजस जी महाराज कोठावले संस्थापक गुरुकुल वारकरी सप्रदाय से, श्री संजय जी भोसलेवाइस प्रेसिडेंट इसकोन टेंपल, श्री सुखदेव जी महाराज राष्ट्रीय अध्यक्ष संस्थापक श्री गुरु रविदास मंदिर सभी मुख्य अतिथि पधारे।
कार्यक्रम की शुरुआत मुनि श्री आलोक कुमार जी के मुखारविंद से नवकार मंत्र से हुआ फिर मंगलाचरण अणुव्रत समिति पुणे द्वारा हुआ अणुव्रत समिति पुणे अध्यक्ष धर्मेंद्र चौरडिया ने पधारे हुए अतिथियों का स्वागत किया और अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह से अवगत कराया।
मुनि श्री आलोक कुमार जी ने कहा कैसे अपनाएं अणुव्रत जीवनशैली? अणुव्रत जीवनशैली का आधार बिन्दु है संयम का अभ्यास। एक बार यह अभ्यास सध गया तो जीवन के हर क्षेत्र में यह अपना प्रभाव छोड़ेगा। संयम आपकी आदत का हिस्सा बन गया और आपके अवचेतन मन ने इसे स्वीकार कर लिया तो बिना आपके सुचिन्तित प्रयास के पग-पग पर आपको रास्ता दिखाता रहेगा। लेकिन नयी आदत डालना या फिर पुरानी आदत को छोड़ना आसान नहीं होता। इसके लिए मानसिक स्तर पर तैयारी आवश्यक होती है, बदलाव के प्रति आस्था जरूरी है।
मुनि श्री गौरव कुमार जी ने कहा हर इंसान का ब्लड एक जैसा होता है हर इंसान के टीथ यानी दांत सबके एक जेसे होते हैं फिर भी सबके मन अलग-अलग क्यों अगर किसी का मन मिल गया तो सौहार्द हो गया मन का मिलना बहुत जरूरी है नारियल और इंसान बाहर से ऐसे ही होते है नारियल फोड़ने। पर और इंसान जोड़ने पर स्वभाव का पता चलता है इंसान के मन को देखो हमें सबके मन में उतारने का है मन से उतरने का नहीं है हम सभी के मन से उतर रहे हैं मनुष्य जीने की कला है शरीर की रचना सभी की सेम हे लेकिन मन अलग है हमें सभी के मन में उतरना है। मुनि श्री हीम कुमार जी ने बहुत ही सुंदर सुरीली आवाज में गीत का संगान किया।
श्री सुखदेव जी महाराज ने कहा मनुष्य में मनुष्यता ही खो रही है अगर मनुष्य में मनुष्यता रह जाए तो जिंदगी अपने आप सौहार्द की भावना उत्पन्न हो जाएगी.. और हमे अपनी जिंदगी में हमेशा किसी भी समस्या के समाधान में सहायक बने ना की समस्या को बढ़ाने में यह बात उन्होंने एक कहानी के माध्यम से बताते हुए कहा कि एक जंगल में जब आग लगती है तो एक चिड़िया अपनी चोन से पानी भरकर उसे आग बुझाने में लग जाती है तो सभी उसे पर हंसते हैं और कहते हैं कि तेरे इतने से पानी से क्या जंगल की आग बुझ पाएगी तो चिड़िया ने बहुत ही सुंदर जवाब देते हुए कहा कि जब इतिहास पढ़ा जाएगा तो उसमें मेरा नाम जंगल की आग बुझाने वाले में आएगा नही की जंगल की आग लगाने वालों में श्री स्वामी सुरेन्द्र सरस्वती जी ने कहा-नेगेटिविटी को कैसे छोड़ना, लीडर ऐसा बने जो सबको साथ लेकर चले, सबसे प्रेम भाव रखें सबके साथ मैत्री रखें किसी से बैर नहीं रखें और कहा विविध प्रकार के संप्रदाय से आए संत महापुरुषों ने धर्म सौहार्द पर बात कही पहले इंसान बने इंसानियत ही धर्म है
संजयजी भोसले ने कहा कि भारत की सांस्कृतिक विरासत इतनी मजबूत है उसे हमें सब कुछ सीखने को मिलता है जैसे रामायण ने हमें सिखाया कि कैसे हमें जीवन जीना, परिवार में रहना महाभारत से हमने सीखा कि कैसे उसे लीड करना और गीता ने हमें सिखाया कि कैसे प्यार से रहना, और जीवन आध्यात्मिकता से जीना।
ब्रह्मकुमारी के सरिता दीदी ने अपने वक्तव्य में कहा कि एक नर स्वयं नारायण बन सकता है और नारी लक्ष्मी बन सकती है अगर हम अपने जीवन में अच्छे गुणो का विकास करें तो यह संभव हो सकता है और साथ में यह भी बताया कि हमें अपने परिवार में बच्चों अच्छी और सही चीजों और बातों पर सहमति देनी चाहिए और यह तभी संभव होगा जब हम खुद एक अच्छे इंसान बनेंगे। श्री तेजस महाराज कोठावाले ने अपना वक्तव्य दिया।
सभा अध्यक्ष महावीर कटारिया, मंत्री राजेश पारेख, तेयुप अध्यक्ष अक्षय चपलोट, मंत्री मनीष भंडारी, अध्यक्ष मनोज सकलेचा, महिला मंडल अध्यक्ष पुष्पा कटारिया मंत्री पायल धारेवा, अणुव्रत समिति अध्यक्ष धर्मेंद्र चोरड़िया, मंत्री मुकेश सकलेचा हरीश श्रीमाल, टीपीएफ अध्यक्ष रोशन चोरड़िया मंत्री विनय छाजेड़ मयूरी जैन, भिक्षु ट्रस्ट अध्यक्ष प्रकाश भंडारी ,मंत्री संजय मरलेचा,मदन जी पारेख और पूरा तेरापंथ समाज उपस्थित था। सफल संचालन पुष्पा महावीर कटारिया ने किया।