मुनि श्री जिनेश कुमार जी ठाणा-3 के सान्निध्य में सास-बहु कार्यशाला का आयोजन तेरापंथ महिला मंडल द्वारा प्रेक्षा विहार में किया गया। जिसका विषय था-‘सुखी सास-बहु: सुखी घर-परिवार’।
इस अवसर पर उपस्थित धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनिश्री जिनेश कुमार जी ने कहा वर्तमान युग प्रशिक्षण का युग है। सास-बहू को भी रिश्तों का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। जिससे घर-परिवार में सुख शांति स्थापित हो सके। सास-बहु का रिश्ता साझेदारी और समसदारी का है। जो सहेगा वही परिवार में रहेगा और जो नहीं सहेगा वह परिवार से बिखर जायेगा। स्त्री समझदार हो तो बिखरते परिवार सुलझ जाते हैं। अगर स्त्री अड़ियल तो सुलझे हुए परिवार भी बिखर जाते है। जिस घर में सासु-बहु की कुंडली जम जाती है उस घर में हर दिन दिवाली और जिस घर में सासु-बहु की जोड़ी नहीं जमती है वहाँ हर रोज होली खेली जाती है। इसलिए सास बहु का सुखी होना जरूरी है क्योंकि इनके सुखी रहने से घर परिवार सुखी रह सकता है।
मुनि श्री ने आगे कहा कि सास और बहु में तालमेल है तो जीवन एक खेल है अगर दिल में भेद है तो जीवन एक जेल है। सामं्जस्य के अभाव में नया चूल्हा होने में देर नहीं होगी एक-दूसरे को सम्मान दे, एक-दूसरे के भावों में समझे। सेवा-सहयोग का भाव रखे। रहना, सहना कहना का विवेक जागृत हो जाए तो घर परिवार में शांति का साम्राज्य स्थापित हो जायेगा। सहिष्णुता स्नेह तटस्थता का विकास करे। सासु अनावश्यक बहु को टोके नहीं। एक-दूसरे के हितों की सुरक्षा करने से घर में शांति रहेगी।
मुनिश्री परमानंद ने कहा कि दीवारों में आए दरार तो दीवारे गिर जाती है पर रिश्तों में आए दरार तो दीवारें खड़ी हो जाती हैं। सास-बहु के रिश्तों में मतभेद की दीवारे खड़ी नहीं होनी चाहिए। बाल मुनिश्री कुणाल कुमार जी ने गीत का संगान किया।
महिला मंडल की बहनों ने सास-बहु की सुन्दर परिसंवाद प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन मुनिश्री परमानंदजी ने किया। आभार ज्ञापन शीला नाहटा ने किया।
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