शहर के महाप्रज्ञ विहार में शासनश्री मुनि सुरेश कुमार के सान्निध्य में तेरापंथ समाज के 60 तपस्वियों का अभिनंदन समारोहपूर्वक किया गया।
समारोह को सम्बोधित करते हुए मुनि सम्बोध कुमार ‘मेघांश’ ने कहा कि तपस्वी ही यशस्वी होता है, यह तपस्वी की तपस्वीता का अभिनंदन है। इस समायोजन से भविष्य के तपस्वियों का जन्म होगा। उन्होंने कहा कि गलत कहा जा रहा है कि यूथ आध्यात्मिक नहीं है, इस समारोह में अधिकांश तपस्या करने वाले युवा हैं। मुनिश्री ने कहा कि सभी तपस्याएँ हो गई, अब मासखमण का होना शेष है। साथ ही उन्होंने आचार्य महाश्रमण के सन 2025 में आगमन पर ग्यारह दम्पति के अठाई और ग्यारह रंगी तपस्या करने प्रस्ताव समाज को दिया। मुनिश्री ने तेरापंथ सभा को इस समायोजन के लिए साधुवाद दिया।
मुनि सिद्धप्रज्ञजी ने कहा कि तपस्या करते हुए अनेक बार अवरोध आ जाते हैं। तप बढे़ मगर ताप ना बढ़े। अज्ञानपुर्वक किया गया तप समस्या का कारण बन सकता है तपस्या या लक्ष्य मात्र निर्जरा हो। कार में रफतार के साथ ब्रेक भी चाहिए है। जीवन में भोग के साथ तप का योग आवश्यक है। तप के बिना भोग रोग का कारण बन जाता है।
मनोज लोढ़ा के मधुर गीत से शुरू हुए कार्यक्रम में तेरापंथ सभाध्यक्ष कमल नाहटा ने ‘तप की मशाल जलाइ है’ गीत का संगान कर समागत सभी तपस्वियों का भावपूर्ण विचारों से अभिनंदन किया।
इस अवसर पर धर्मचक्र करने वाले तीन, पंद्रह करने वाले एक ग्यारह करने वाले आठ, दस करने वाले एक, नौ करने वाले आठ, आठ करने वाले 22, पाँच करने वाले नौ तपस्वियों के साथ अठारह से कम आयुष्य वाले तेले करने वाले 60 तपस्वी, व एकासन मासखमण करने वाले एक तपस्वी सहित 60 तपस्वियों का समारोहपूर्वक अभिनंदन किया गया।
मंच संचालन सभा उपाध्यक्ष कमल पोरवाल व आभार सहमंत्री ओम पोरवाल ने किया।
इस अवसर पर सभा उपाध्यक्ष आलोक पगारिया, मंत्री अभिषेक पोखरना, मनीष नागोरी सहित कई गणमान्यजन उपस्थित थे।
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