अररिया कोर्ट स्थित तेरापंथ सभा भवन में मुनि श्री आनंद कुमार जी ‘कालू’ ठाणा-2 के सान्निध्य में स्थानीय तेरापंथ भवन में तेरापंथ महिला मंडल द्वारा चौबीसी का कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुनि श्री आनंद कुमार जी ‘कालू’ के महामंत्रोच्चार के साथ हुआ।
तत्पश्चात मुनि श्री द्वारा महाश्रमण (अभिवंदना) के साथ चौबीसी की तेरहवी स्तुति का संगान किया गया। इस अवसर पर मुनिश्री ने कहा की चौबीसी का संगान सोने में सुहागा जैसे काम करता है। आचार्य जयाचार्य तेरापंथ के चतुर्थ आचार्य थे। संघ अनुशास्ता और मर्यादा के संयोजक थे। वे साहित्यकार, लेखक, वक्ता, व्याख्याता, कलाकार, तत्त्ववेत्ता बहुत कुछ थे, परन्तु पहले वे एक सन्त थे, इसीलिए उनकी सन्त चेतना ने प्रकृति, पर्यावरण, परिस्थिति, परिवेश, परम्परा और प्राणी की निजी समस्याओं को प्रज्ञा की आंख से देखा, कारणों की मीमांसा की, तभी उनकी रचनाओं में स्व-संबोध और स्व-निरीक्षण का पक्ष अधिक उजागर हुआ है।
सार्ध-शती पूर्व राजस्थानी गीतों की लोक धुनों में चौबीस तीर्थंकरों की स्तुति कर जयाचार्य ने भक्ति का अनूठा गेय काव्य रचा जो ‘चौबीसी’ के नाम से अधिक पहचाना गया।
यह भक्ति-काव्य वीतराग की वन्दना है, मुनि श्री ने कहा की, जयाचार्य ने चौबीसी की रचना।
वि.सं., 1900,लाडनूँ में-10-दिनो की अवधि में की संगीत के साथ-साथ इसमें जो भाव-गांभीर्य और विवेचन है वह हृदय को छूने वाला है। एक-एक पद्य ऐसा है, जिसमें जयाचार्य की आंतरिक आस्था बोल रही है। संगीत को शब्दों में उतारा नहीं जा सकता, उसका अनुभव तो सिर्फ गाकर ही किया जा सकता है। जरूरत है चौबीसी को भक्तजन स्वयं गाएं। गुरुदेव द्वारा गाए गीतों को सुनते हुए साथ-साथ गुनगुनाएं। गीत का स्वर के साथ उभरता हर बोल, बोल का हर भाव व्यक्तित्व को बदलाव देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायेगा।
तेरापंथ महिला मंडल की बहिनो द्वारा चौबीसी की दूसरी स्तुति का सामूहिक संगान किया, इस अवसर पर श्रीमती सुशीला बाई दुधेडिया की 13वीं, स्तुति की।तेरापंथ महिला मंडल की उपाध्यक्ष श्रीमती कांता बेगवानी ने चौबीसी की छठी स्तुति, कल्पना चंडालिया, भिकी बाई धोषल, राजा मालू ,संतोष मालू, ने चौबीसी की दूसरी स्तुति का संगान किया।
तेरापंथ महिला मंडल की मंत्री श्रीमती सुरभि दूगड़ ने बताया कि मुनि श्री आनंद कुमार जी ‘कालू’ वं तेरापंथ महिला मंडल की उपाध्यक्ष कांता बेगवानी और सभी महिला मंडल की बहनों का विशेष सहयोग रहा। कार्यक्रम का कुशल संचालन मुनि श्री आनंद कुमार जी ‘कालू’ ने किया। कार्यक्रम का समापन भी मुनि श्री के मंगल पाठ से हुआ।
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