साध्वीश्री रतिप्रभाजी ठाणा-4 के सान्निध्य में 31वां विकास महोत्सव का कार्यक्रम संपन्न हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत तुलसी अष्टकम से मंडल की बहनों द्वारा की गई। साध्वीश्री रतिप्रभा जी ने कहा कि आचार्य तुलसी विकास पुंज, विकास सोत्र थे। उनके नन्हे-नन्हे कंधों पर संघ का भार आया। पर डरे नहीं परंतु दिन प्रतिदिन गति-प्रगति करते रहे। कालूगणी की शिक्षा पर पूरा ध्यान दिया। जब तक संयम पले उसे पलाने की कोशिश करना, साध्वी शिक्षा पर ध्यान देना और तीसरी शिक्षा जैन धर्म कैसे फले-फुले इसके लिए प्रयास करना।
आचार्य तुलसी का चिंतन रहता जो कालूगणी में मुझ पर विश्वास किया है, उसे मुझे सवाया करना है। साध्वी कलाप्रभा जी ने साहसिक एवं संकल्प के धनी बताते हुए उनके नया मोड़, समणश्रेणी आदि अवदानों की चर्चा की। साध्वी मनोज्ञयशाजी ने उन्हें समय एवं व्यक्ति के पारखी बताते हुए बाह्य एवं आंतरिक व्यक्तित्व का विश्लेषण किया। साध्वी पावन यशाजी ने सुमधुर संगीत के साथ गुरु के प्रति समर्पण भाव व्यक्त किए।
तेरापंथ महिला मंडल अध्यक्षा भाग्यवंतीजी चोपड़ा, निवर्तमान अध्यक्षा विजया देवी चोपड़ा, ज्ञानशाला प्रभारी आनंद जी चोपड़ा आदि ने गीत, भाषण, कविता के माध्यम से अपने गुरु के प्रति श्रद्धा व्यक्ति की। कार्यक्रम का संचालन कन्या मंडल संयोजिका खुशबू पारख ने किया।
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