मुनिश्री डॉ. अमृत कुमार जी के सान्निध्य में तेरह दिन के कठिन तप करने वाले मोहित जैन बरड़िया का आचार्य तुलसी महाप्रज्ञ भवन में तप अभिनंदन समारोह का आयोजन किया। कार्यक्रम में मुनिश्री ने तप के विषय में कहा कि तपस्या से मनुष्य के अंदर छिपी हुई शक्ति जागृत होती है, जिसके कारण उसे आत्मिक सुख की अनुभूति होती है, उन्होंने कहा कि तपस्या केवल भूखे रहने का सिद्धांत ही नहीं है अपितु संस्कार विशुद्धि की अद्भुत कार्यशाला है। मुनिश्री ने तप पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जैन दर्शन के अनुसार तपस्या से पूर्व संचित कर्मों की निर्जरा तो होती ही है और इससे तपस्वी की आत्मा भी निर्मल बनती है। मुनिश्री ने 2 अक्षरों से बने तप शब्द के बारे में बताते हुए कहा कि तप में अणु से भी अधिक शक्ति समाहित होती है। व्रत साधना में मनुष्य का 13 दिनों तक भूखे रहना बहुत कठिन साधना है और जो व्यक्ति रसनेन्द्रिय को वश में रख सकता है वही व्यक्ति तप कर सकता है।
मुनि श्री ने बताया कि भगवान महावीर स्वामी ने जीवन में मोक्ष के चार मार्ग बताए हैं, जिसमें से एक तप है और तप का वास्तविक अर्थ आत्मा विजातीय तत्वों को दूर करना और मानव इंद्रियों को वश में करना है तथा तप से शरीर में लाल कणों की वृद्धि होती हैं और रासायनिक परिवर्तन भी होता है।
मुनिश्री उपशम कुमार ने तप के बारे विस्तार से समझाया! मंच संचालन तेरापंथ युवक परिषद मंत्री निखिल जैन ने किया! कार्यक्रम में उपस्थित तेरापंथी सभा अध्यक्ष मनोज कुमार गिडिया, मंत्री पवन छाजेड तेरापंथ युवक परिषद नोहर अध्यक्ष चन्द्रेश सिपानी, उपाध्यक्ष भारत कोचर, प्रचार मंत्री विकास जैन, संदीप कोचर, महेंद्र सिपानी, राकेश सिंघी, ऋषभ बरडिया, गौतम, विनोद, अभय, राजेश, अजय, जितेन्द्र बरडिया, कोमल तातेड, पूजा बरडिया, संतोष देवी, लक्ष्मी देवी, मोनिका देवी, सृस्टी, टीना बरडिया व तेरापंथी सभा, युवक परिषद, कन्या मंडल, महिला मण्डल, किशोर मंडल व बरडिया परिवार ने गीत व भाषण के द्वारा अपने विचार व्यक्त किए ।
तपस्विनी का क्रमशः सभा, महिला मंडल, युवक परिषद, कन्या मंडल ने साहित्य व स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मान किया ।
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