श्रीडूंगरगढ़ सेवा केंद्र में तपस्वी भंवरलाल जी बोथरा 7 की तपस्या लेकर सेवा केंद्र व्यवस्थापिका शासनश्री साध्वी कुंथुश्री जी के सान्निध्य में उपस्थित हुए। तप अभिनंदन में श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा, तेरापंथ युवक परिषद, तेरापंथ महिला मंडल सहित सम्पूर्ण जैन समाज की ओर से सभाध्यक्ष सुशीला पुगलिया ने तपस्वी के तप अभिनंदन में अपने भावों की अभिव्यक्ति दी एवं सभी संस्थाओं द्वारा तपस्वी को सम्मानित किया गया। बोथरा परिवार की ओर से श्रीमती ममता दुगड़ ने गीत का संगान किया।
सेवा केंद्र व्यवस्थापिका शासनश्री साध्वी कुंथुश्री जी ने मंगल उद्बोधन देते हुए कहा कि व्यक्ति स्वयं को देखे, समझे और तपस्या में स्वयं को नियोजित करे। तपस्या 8 कर्मों को तपाने वाली है। कर्म निर्जरा का एक बड़ा साधन है-तपस्या। भंवरलाल जी दुबले-पतले व्यक्ति हैं परंतु मनोबल मजबूत है और इस अवस्था में भी तपस्या की है। व्यक्ति अपने सामर्थ्य अनुसार समाज हित और आत्महित में स्वयं को नियोजित अवश्य करे। व्यक्ति का सकारात्मक दिशा में किया गया समय, श्रम और अर्थ का नियोजन उसके स्वयं और राष्ट्र के विकास में सहयोगी बनता है।
कार्यक्रम में महावीर प्रश्नोत्तरी के और पर्युषण आराधना पत्रक के क्रमशः 15 व 3 विजेता प्रतियोगियों को सभाध्यक्ष सुशीला पुगलिया व मंत्री प्रदीप पुगलिया के साथ कार्यसमिति सदस्यों द्वारा पुरस्कृत किया गया।
कार्यक्रम में श्री ओसवाल पंचायत के सदस्यों द्वारा अर्थ सहयोगी बने सुशीला पुगलिया, राजकुमार बाफना, भंवरलाल राखेचा, माणक चंद डागा, जतन पारख व नवरत्न पारख का प्रतीक चिह्न व सम्मान पत्र देकर सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन साध्वी सुमंगलाश्री जी ने किया।