गांधीनगर स्थित तेरापंथ भवन में साध्वीश्री सोमयशाजी ठाणा-3 के सान्निध्य में तेरापंथी महासभा निर्देशित 50वें प्रेक्षा कल्याण वर्ष के अंतर्गत तेरापंथ सभा, गांधीनगर-बैंगलोर के तत्वावधान में प्रातः 6.30 बजे प्रेक्षावाहिनी द्वारा प्रेक्षाध्यान गोष्ठी का आयोजन हुआ। प्रेक्षा प्रशिक्षक श्री डालमकुमार जी सेठिया ने प्रशिक्षण दिया। दीर्घ श्वास प्रेक्षा का प्रयोग श्रीमती रेणु कोठारी ने कराया। इस कार्यशाला में लगभग 20 प्रतिभागियों ने भाग लिया।
द्वितीय चरण में साध्वीश्री सोमयशाजी के सान्निध्य में चित्त समाधि कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ चित्त समाधिमय गीत से हुआ। साध्वीश्री जी ने चित की निर्मलता के बारे में बताते हुए कहा कि चित्त समाधि अर्थात शांति से जीना, जहां प्रेम होता है, सहिष्णुता होती है, सहभागिता होती है, मानसिक शांति होती है, वहां चित्त की निर्मलता बरकरार रहती है। जैन दर्शन में रहना, समभाव में रहना, स्थितियों, परिस्थितियों को सहना कर्म निर्जरा बताया गया है। वह भी चित्त की निर्मलता से ही संभव है। साध्वीश्री सरलयशाजी ने अपने जीवन को किस प्रकार समाधिमय बनाए उस हेतु महत्वपूर्ण टिप्स बताए। साध्वीश्री ऋषिप्रभा जी ने छोटे-छोटे प्रयोगों से सबको लाभान्वित किया।
इस अवसर पर सभा अध्यक्ष श्री पारसमल भंसाली, उपाध्यक्ष श्री विनय बैद, सभा मंत्री विनोद छाजेड़, कोषाध्यक्ष श्री प्रकाश कटारिया, तेयुप अध्यक्ष श्री विमल धारीवाल, पूर्व ट्रस्ट अध्यक्ष श्री गौतमचंद मुथा, श्री प्रकाश बाबेल सहित अनेक गणमान्यजन उपस्थित थे।
