साधु संतों का प्रवास तभी सार्थक है जब भाई-बहन उनके उपदेशों को ग्रहण कर जीवन में बदलाव लाकर आत्म कल्याण का पथ प्रशस्त करें। यह शब्द मुनिश्री सुमति कुमार ने मंगलवार की रात तेरापंथ भवन, रायसिंहनगर में मंगलभावना समारोह में कहे। संतो के लिए स्वागत व विदाई को एक समान बताते हुए उन्होंने 25 दिन के प्रवास में संतों के व्यवहार से किसी के मन पर ठेस लगने पर क्षमायाचना की।
उन्होंने श्रावक-श्राविकाओं को प्रत्येक शनिवार शाम 7ः00 से 8ः00 बजे तेरापंथ भवन में सामूहिक सामयिक करने और प्रत्येक रविवार को बच्चों की ज्ञानशाला चलाने और हर महीने शुक्ल पक्ष की तेरस को आचार्य भिक्षु की धम्म जागरणा करने की प्रेरणा दी।
श्रद्धालुओं ने संतों को विदाई देते हुए 25 दिन में हुए अविनय, अवज्ञा, अशातना के लिए क्षमायाचना की।
प्रदीप बोथरा, आनंद जैन, स्थानीय सभा के उपाध्यक्ष राजकुमार जैन, सचिव डॉ. संजय बोथरा, प्रवक्ता जयदेव गोयल, टीपीए के अध्यक्ष डॉ. मुकेश जैन, सीमा बांठिया, सुमन जैन, मंजू जैन, राजरानी जैन, हिमांशु बोथरा, अभिषेक सुराना, अंकित जैन, अभिषेक जैन सुरेंद्र बांठिया, मीना जैन, राजरानी जैन, डॉ. अल्पा जैन, सुनीता सेठिया, योगिता बोथरा, व नमन आंचलिया, नैतिक और नन्हे-मुन्ने बच्चों ने कविता, मुक्तक, वक्तव्य, परिसंवाद व गीतिकाओं से संतों को विदाई दी और उनकी आगामी यात्रा के प्रति मंगलकामनाएं और स्वास्थ्य के लिए मंगलकामना व्यक्त की। मुनिश्री बुधवार की प्रातः तेरापंथ भवन, रायसिंहनगर से प्रस्थान करते हुए 16 किलोमीटर की पदयात्रा करते हुए गीता भवन, गजसिंहपुर में पहुंचे।
