समणी निर्देशिका डॉ. निर्वाण प्रज्ञा जी एवं समणी मध्यस्थप्रज्ञा जी के सान्निध्य में भगवान महावीर का 2624वां जन्म कल्याणक दिवस तीनों जैन समाज तेरापंथी, स्थानकवासी तथा दिगंबर समाज द्वारा सामूहिक रूप से बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। स्थानीय तेरापंथ भवन से प्रभात रैली का शुभारंभ हुआ जो कटक की कई एरिया, जिनालयों से होती हुई अहिंसा भवन पहुंची। अहिंसा भवन में समणीवृंद के सान्निध्य में ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने, कन्या मंडल ने तथा तीनों समाज की महिला मंडल की बहनों ने भगवान महावीर को समर्पित लघु नाटिका, गीतिकाएं आदि के रूप में बहुत ही सुंदर प्रस्तुतियां दी। प्रभु महावीर के जन्म जयंती दिवस पर समणी निर्देशिका डॉ. निर्वाणप्रज्ञा जी ने मंगल पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि प्रभु महावीर ने प्रभुत्व का वरण कैसे किया? वे लघु से प्रभु कैसे बने? प्रभु महावीर की आत्मा नयसार के भाव से तीर्थंकर तक की यात्रा करती है। प्रभु ने निरंतर समता सहिष्णुता तपस्या और ध्यान की साधना से आत्मोन्नति की ओर बढ़ते गए। भगवान महावीर की जीवन झांकी को देखे तो तीन सूत्रों की चर्चा होती है उनके संकल्प शक्ति, अनुकंपा की शक्ति, संयम की शक्ति, इन्हीं शक्तियों के कारण वे आत्मा से परमात्मा बने। भगवान के जन्म दिवस को मनाने की सार्थकता तभी होगी जब आप अपने और भावी पीढ़ी के भीतर जैनेत्व के संस्कारों को जागृत रख सकें।
समणी मध्यस्थप्रज्ञा जी ने कहा कि हमारा कोई भी कार्य जैन संस्कारों के विपरीत ना हो। तीनों जैन समाज के अध्यक्षों ने अपने-अपने विचारों की अभिव्यक्ति दी और समणीवृंद के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की। कार्यक्रम का कुशल संचालन तथा आभार स्थानकवासी समाज के मंत्री श्रीमान सुनील जी मेहता ने किया।
