साध्वीश्री संयमलताजी के सान्निध्य में ‘कैसे थामें रिश्तों की डोर’ कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला की शुरुआत नमस्कार महामंत्र के मंगलाचार से हुई। साध्वीश्री संयमलता जी ने कहा कि रिश्तों की डोर थामें रखने हेतु विश्वास, प्यार और वाणी में मधुरता होना जरूरी है। घर को स्वर्ग बनाए रखने के लिए जबान को नरम एवं आंख में शर्म और जेब को गर्म रखने चाहिए। आज के बढ़ते मोबाइल योग में टूटते रिश्तों को संभालने के लिए 3 एस फार्मूले को साध्वीश्री ने विस्तार से समझाया। अनेक प्रेरणादाई घटनाओं के माध्यम से बच्चों में संस्कारों का बीजारोपण करने के लिए माता-पिता अपने कर्तव्यों को निभाएं। हमेशा परिवार में प्यार की भाषा बोले साध्वीश्री मार्दव श्रीजी ने कार्यक्रम का कुशल संचालन करते हुए कहा कि बच्चे अस्पताल में पैदा होकर हॉस्टल एवं होटल वाले बन जाते हैं बच्चों में संस्कार देने हेतु माता-पिता अपने समय का नियोजन करें यह समय उनके बुढ़ापे में काम देने वाला होगा।
सीपीएस प्रोविजनल जोनल ट्रेनर मधुजी कटारिया ने भी पेरेंटिंग के बारे में बताया कि माता-पिता होना एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है यह न केवल हमारे बच्चों को पालने और उनकी देखभाल करने तक ही सीमित है, बल्कि उन्हें एक अच्छा इंसान बनने और उन्हें जीवन के लिए तैयार करने के बारे में भी है क्योंकि बच्चे हमारी सबसे बड़ी पूंजी हैं और यह भविष्य के नेता है। इस अवसर पर तेरापंथ सभा राजाजीनगर के अध्यक्ष अशोक जी चौधरी एवं सभा परिवार, तेयुप अध्यक्ष कमलेश जी चौरड़िया, तेयुप परिवार एवं महिला मंडल अध्यक्षा उषा जी चौधरी एवं महिला मंडल परिवार, श्रावक समाज की भी अच्छी उपस्थिति रही।
