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वीतराग पथ कार्यशाला का आयोजन : एचबीएसटी हनुमंतनगर

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अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के निर्देशन एवं तेरापंथ युवक परिषद एचबीएसटी हनुमंतनगर द्वारा साध्वीश्री पावनप्रभा जी आदि ठाणा-4 के पावन सान्निध्य में वीतराग पथ कार्यशाला का आयोजन तेरापंथ सभा भवन, हनुमंतनगर में किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत साध्वीश्री द्वारा नमस्कार महामंत्र के मंगल मंत्रोचार द्वारा हुआ। विजय गीत का संगान महाश्रमण सुर-संगम के सदस्यों द्वारा किया गया। श्रावक निष्ठा पत्र का वाचन सभा मंत्री श्री हेमराज जी मांडोत ने किया। परिषद अध्यक्ष श्री कमलेश झाबक ने सभी पधारे हुए श्रावक-श्राविका समाज एवं ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों का स्वागत एवं साध्वीश्री जी के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की। सभा अध्यक्ष श्री गौतम जी दक ने अपने विचार व्यक्त किए।
साध्वीश्री पावनप्रभा जी ने वितराग कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि हम सौभाग्यशाली हैं कि हमें मानव जीवन मिला है। यह मनुष्य जन्म नो घाटियों को पार करने के बाद प्राप्त हुए है। मनुष्य जन्म सोने की थाली है, इसमें हमको कंकर नहीं भरना है। ऐसा मस्तिष्क ‘नर्वस सिस्टम’ नाडी तंत्र, ग्रंथि तंत्र जो कि बहुत ही महत्वपूर्ण है। आप लोग ऐसा कर्म न करें, जिससे नरक या तिर्यंच गति में पुनः से जाना पड़े। आज आधुनिक टेक्नोलॉजी के युग में राग चेतना को बढ़ाने वाला प्रशिक्षण ज्यादा मिल रहा है। वैराग्य भाव जगा कर के ही आप वीतराग पथ पर प्रस्थान कर सकते हैं-इसी दौरान साध्वीश्री जी ने सभी को आह्वान करते हुए कहा कि जैन की पहचान बनाएं। शान कायम रखें तभी अपनी संस्कृति का संरक्षण कर सकते हैं। साध्वीश्री उन्नत यशा जी ने कहा कि तीन मित्र होते हैं-शरीर, परिवार और कर्म पहला यहां तक साथ निभाता है, दूसरा शमशान तक और तीसरा मित्र हमेशा साथ रहता है। व्यक्ति का कर्मों के कारण ही चारों गतियों में आवागमन होता है। आठ कर्मों की व्याख्या करते हुए कर्म बंधन की प्रक्रिया पर सूक्ष्म प्रकाश डाला। साध्वीश्री आत्मयशा जी ने सामयिक की महत्ता को प्रकट करते हुए कहा कि आप लोग सुबह की शुरुआत कैसे करते हैं-न्यूज पेपर के साथ, टीवी चौनल के साथ, बेड टी के साथ या फिर मोबाइल के साथ मैं कहना चाहूंगी आप सुबह की शुरुआत सामायिक से करें सामयिक का अर्थ है-समता में रहना। समय का अर्थ है-आत्मा। आत्मा में वास करना ही सामयिक है।
इस अवसर पर साध्वीश्री जी द्वारा पंचम आरे में मिलग्या चौथे आरे संत महातपस्वी महाश्रमण स्वरचित गीतिका का सुमधुर गीतिका का संगान किया। महिला मण्डल अध्यक्ष श्रीमती सरोज दुगड़, ज्ञानशाला संयोजिका श्रीमती मंजू जी दक, परिषद परामर्शक श्री प्रकाश जी बोल्या, अभातेयुप से श्री प्रदीप जी चोपड़ा, परिषद पूर्व अध्यक्ष श्री गौतम जी खाब्या, धर्मेश जी कोठारी, परिषद उपाध्यक्ष द्वितीय श्री देवेंद्र जी आंचलिया, सहमंत्री-प्रथम श्री नवरतन बोल्या, कोषाध्यक्ष श्री धवल जी बोल्या, संघठन मंत्री श्री संदीप जी बाबेल, श्री विक्रम जी पुगलिया, श्री सज्जनराज जी कटारिया, श्री महावीर जी कटारिया, श्री महावीर जी देरासरिया, श्री गौतम जी चावत, श्री चेतन जी बोल्या, श्री विमल जी सामरा, श्री रोहित जी देरासरिया, किशोर मण्डल संयोजक श्री जिंनेश जी धोका सहित सम्पूर्ण श्रावक-श्राविका समाज, ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों की अच्छी संख्या में उपस्थिति रही। कार्यक्रम का कुशल संचालन एवं आभार परिषद मंत्री श्री संदीप जी चौधरी ने किया।

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