प्रेक्षा फाउंडेशन के निर्देशन में प्रेक्षावाहिनी, शाहीबाग-अहमदाबाद व तेरापंथ सेवा समाज के संयुक्त तत्वावधान में तेरापंथ भवन 5वें मंजिल ध्यान कक्ष में प्रेक्षाध्यान कार्यशाला का कार्यक्रम आयोजित किया गया। मुनिश्री धर्मरुचिजी, मुनिश्री डॉ. मदनकुमारजी, मुनिश्री जम्बूकुमारजी के मंगलपाठ से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। प्रेक्षा प्रशिक्षक श्री जवेरीलाल संकलेचा कहा कि शांति व आनंद का राजमार्ग प्रेक्षाध्यान के प्रयोग हैं। अनुप्रेक्षा के द्वारा कम से 27 दिन शांति व धैर्य की अनुप्रेक्षा व ज्योति केंद्र पर चमकते हुए श्वेत रंग के साथ नियमित श्वास भरते हुए प्रयोग किया जाए कि मैं शांत व धैर्यवान हू तो क्रोध पर विजय प्राप्त कर सकते हैं। प्रेक्षाध्यान जीवन जीने की सही कला सिखाता है, इससे सकरात्मक ऊर्जा का विकास होता है। आवश्यकता है कि हम पूरे मनयोग के साथ मे स्वयं जुड़े व दूसरे को जोड़ने का प्रयास करें।
प्रेक्षा प्रशिक्षक श्री जवेरीलाल संकलेचा ने प्रेक्षाध्यान प्रेक्षा प्रणेता आचार्य श्री महाप्रज्ञजी का मानव जाति के लिए महान अवदान है जो आधी-शारीरिक बीमारी, व्याधि-मानसिक बीमारी, उपाधि-भावनात्मक बीमारी से मुक्ति का सशक्त उपाय है। आवश्यकता इस बात की है कि प्रेक्षाध्यान हमारे जीवन की प्रयोगशाला बने। श्री जवेरीलाल संकलेचा ने प्रेक्षाध्यान का सुंदर प्रयोग करवाया।
त्रिपदी वंदना व प्रेक्षा गीत श्री विमल बाफना ने किया। तेरापंथ सेवा समाज के अध्यक्ष श्री नानालालजी कोठारी ने स्वागत करते बताया कि प्रेक्षाध्यान चित्त समाधि का उत्तम प्रयोग है। श्री धनराजजी छाजेड़ ने दीर्घ श्वास हेतु सम्यक् प्रयोग करवाए। श्री मीनाक्षी घीया ने मंगल भावना करवाई। आभार ज्ञापन श्री सुरेशजी मुणोत ने किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन प्रेक्षावाहिनी, शाहीबाग-अहमदाबाद के सहवाक श्री जवेरीलालजी संकलेचा ने करके व प्रेक्षा कल्याण वर्ष की सूचना प्रदान की। कार्यशाला में लगभग 18 साधक-साधिकाओं ने उत्साह से भाग लिया।
