साध्वीश्री प्रो. मंगलप्रज्ञाजी के सान्निध्य में पैंसठिया यंत्र अनुष्ठान का भव्य आयोजन तेरापंथ भवन, विरार में हुआ। प्रथम बार समायोजित इस अनुष्ठान में श्रावक समाज ने उत्साह के साथ हिस्सा लिया। साध्वीश्री प्रोफेसर मंगलप्रज्ञाजी ने संभागीय अनुष्ठानकर्ताओं को उद्बोधन प्रदान करते हुए कहा कि पैंसठिया छंद एवं यंत्र की साधना प्रभावशाली है, आनंद शक्ति और शांति प्रदान करने वाली है, हर व्यक्ति को शक्ति काम्य है। जैन शासन को विरासत के रूप में अनगिनत मंत्र प्राप्त हुए हैं अनेक साधकों ने साधना की है और अनुभूत आनंद रस को जन-समुदाय को बांटा है, आज विरार में प्रवास के कारण वसई, विरार और नालासोपारा आदि क्षेत्रों के श्रावक परिवार में पैंसठिया यंत्र अनुष्ठान का समायोजन सहज ही हो गया, यह अनुष्ठान विघ्न शामक अनुष्ठान है। व्यक्ति जीवन जीता है, अच्छे लक्ष्य की ओर बढ़ता है अनेक शारीरिक, मानसिक समस्या आती रहती हैं जिसके कारण वह हताश निराश हो जाता है पर मंत्र साधना जीवन पथ के अवरोधों को दूर करने वाली है, गहन आस्था के साथ सविधि द्वारा किया गया। हर प्रयोग बरदायी होता है, साध्वीश्री मंगलप्रज्ञाजी द्वारा पैंसठिया यंत्र अनुष्ठान करवाने के अवसर पर साध्वीश्री सुदर्शनप्रभाजी, साध्वीश्री
अतुलयशाजी, साध्वीश्री राजुलप्रभाजी, साध्वीश्री चौतन्यप्रभाजी एवं साध्वीश्री शौर्यप्रभा जी ने सामूहिक संगान किया। सभाध्यक्ष अजयराज फुलफगर ने साध्वीश्री जी के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की और विरार सभा द्वारा वर्षितप साधनारत विरार से श्रीमती अंजना रमेशजी सोलंकी एवं वसई से श्रीमती रेखा राजेंद्रजी गुंदेचा का साध्वीश्री मंगलप्रज्ञाजी की सान्निध्य में वर्धापन किया गया। सभा के निवर्तमान अध्यक्ष रमेश हिंगड़ ने तप अभिनंदन पत्र का वाचन किया। साध्वीवृंद ने वर्षीतप अनुमोदन गीत का संगान किया। साध्वीश्री प्रोफेसर मंगलप्रज्ञाजी ने कहा कि वर्षितप की साधना एक विशिष्ट साधना है परिषद को इस तप की आराधना हेतु प्रेरणा प्रदान की। महिला मंडल एवं पारिवारिक जनों ने तप की अभिवंदना के वर्धापन स्वर प्रस्तुत किए। पूरे समाज से सराहनीय उपस्थिति रही।
