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तपस्वी संत मुनिश्री नमि कुमार जी की 39 की तपस्या पर तप अनुमोदना : गंगाशहर

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उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनिश्री कमल कुमार जी ने अपने सहयोगी तपस्वी संत मुनिश्री नमि कुमार जी की 39 की तपस्या पर तप अनुमोदन कार्यक्रम में तप में और आगे बढ़ने का आशीर्वाद दिया एवं सुमधुर गीतिका ‘तपसी मुनि नमिवर’ गाकर अपने भाव प्रकट किए। उन्होंने कहा कि आचार्य श्री महाश्रमण जी के संदेश से इतनी ऊर्जा मिली कि 29 की तपस्या करने वाले संत ने 39 की तपस्या कर ली। इस तप के अवसर पर सकल श्रावक-श्राविकाओं से भी तप की भेंट से मुनिश्री नमिकुमार की झोली भरने की प्रेरणा दी। मुनिश्री कमल कुमार जी ने कहा कि तपस्या से कर्म निर्जरा होती है जिससे आत्मा शुद्ध बन जाती है। उन्होंने कहा कि इन्होंने लक्ष्यबद्ध तपस्या की है। उन्होंने बताया कि अपने सभी सामाजिक दायित्वों को पूरा करके भरी पूरी गृहस्थी और माया छोड़कर दीक्षा ली थी। दीक्षा लेने के बाद निरंतर तपस्या कर रहें हैं।
मुनिश्री श्रेयांश कुमार जी ने 5 की तपस्या करके इनका अभिनन्दन किया। कार्यक्रम में ‘तपस्या री आयी रे बाढ़, गंगाणे री नगरी में’ गीतिका के द्वारा अपने भावों की भेंट चढ़ाई। मुनिश्री विमल बिहारी जी ने नमि मुनि की तपस्या की अनुमोदना करते हुए कहा कि तपस्या से शारीरिक-मानसिक स्वस्थता बनी रहती है। तपस्या से मनोबल मजबूत होता है। तपस्या स्वास्थ्य व कर्म निर्जरा के लिए अच्छी है।
मुनिश्री प्रबोध कुमार जी ने तपस्या की अभ्यर्थना करते हुए कहा कि जीवन को पावन, पवित्र बनाने का मार्ग संवर और निर्जरा है। ये मोक्ष मार्ग की दो पटरियां हैं। निर्जरा के 12 भेदों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अनशन पहला भेद है। जैन इतिहास में चौविहार की अधिकतम 6 माह की तपस्या बतायी गयी है। उन्होंने कहा कि केवल शरीर को तपाना ही तप नहीं होता, बल्कि ऊनोदरी, विगय वर्जन, रस परित्याग साधना के द्वारा भी निर्जरा होती है। अपने लक्ष्य को प्राप्त करना ही सर्वश्रेष्ठ तप होता है।
सर्वप्रथम मुनिश्री मुकेश कुमार जी ने कहा कि वर्तमान में जहां नवकारसी-पौरसी करना ही कठिन है वहां मुनि श्री ने 39 की तपस्या करके संघ की प्रभावना बढ़ाई है। उन्होंने कहा कि तेरापंथ धर्मसंघ में कई तपस्वी साधू हुए हैं। तपस्या से कर्म निर्जरा होती है और मोक्षगामी बनने में तपस्या सहायक है।
स्वयं मुनिश्री नमि कुमार जी ने अपनी तपस्या को गुरुदेव का आशीर्वाद ‘तप में आगे बढ़ते रहो’ को माना और अपने अग्रगण्य उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनिश्री कमल कुमार जी के आशीर्वाद व प्रेरणा को माना। उन्होंने सभी साधुओं के प्रति प्रमोद भावना व्यक्त करते हुए कहा कि सभी साधुओं ने बहुत ध्यान रखा और उनका पूरा सहयोग मिला। तपस्या पर प्राप्त संदेशों का वाचन में जैन लूणकरण छाजेड़ ने मुनिश्री अमन कुमार जी का, हंसराज डागा ने आचार्य श्री महाश्रमण जी का व जतनलाल संचेती ने मुनिश्री सुमति कुमार जी के भावों को प्रस्तुत किया। साध्वीश्री विनम्र यशा जी के हार्दिक उदगार प्राप्त हुए। इस तप अभ्यर्थना कार्यक्रम में शांतिनिकेतन प्रवचन पंडाल में सैकड़ों उपस्थित श्रद्धालुजनों ने सामायिक के बेले किए।

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