साध्वीश्री चरितार्थ प्रभा जी एवं साध्वीश्री प्रांजल प्रभा जी के सान्निध्य में मंगल भावना समारोह शांति निकेतन सेवा केन्द्र में आयोजित किया गया। सेवा केन्द्र में वृद्ध साध्वियों की सेवा के लिए एक वर्ष के लिए आचार्य श्री महाश्रमण जी ने दो साध्वीश्री के ग्रुप्स को नियुक्ति किया था। आचार्यश्री महाश्रमण जी प्रति वर्ष धर्मसंघ के मर्यादा महोत्सव के आयोजन के समय इन सेवा केन्द्र में सेवादायी साध्वियों की नियुक्ति करते हैं। इस वर्ष 9 साध्वीयों ने अपनी सेवाएँ प्रदान की।
मंगलभावना समारोह को संबोधित करते हुए साध्वीश्री चरितार्थ प्रभा जी ने कहा कि जीवन का लक्ष्य निर्धारण करना आवश्यक है। हमने सेवा मिलने पर यह लक्ष्य बनाया कि हमें अपना दायित्व पूर्ण जागरूकता से निभाना है। इस चाकरी के दौरान मायतो का वात्सल्य हमेशा बना रहा। इस चाकरी से पूर्व हमने सुना था कि जिसने गंगाशहर सेवाकेन्द्र की चाकरी कर ली उसने सभी जगहों की चाकरी कर ली और सौभाग्यशाली बन गया। यहां का श्रावक समाज भी बहुत अधिक सुदृढ़ और धर्मशील है। उन्होंने सभी के प्रति आध्यात्मिक मंगलकामनाएं व्यक्त की। इस अवसर पर साध्वीश्री प्रांजल प्रभा जी ने कहा कि निश्चय नय और व्यवहार नय की दृष्टि से न स्वागत कि अपेक्षा है न मंगलकामना की। यह सेवा गुरुदेव के आशीर्वाद व निर्देश से ही सफल हो पाई है। हमें यहाँ बहुत कुछ सीखने को मिला। सेवा में रत्नाधिक साध्वियों का अपनापन, परस्पर एक-दूसरे का सहयोग, समन्वय, आपसी सहनशीलता के होने से सेवा सफल रही। संघ की प्रवृतियों को आगे बढ़ाने में तेरापंथी सभा, युवक परिषद, मंहिला मंडल का अथक परिश्रम रहा। शासनश्री साध्वीश्री ज्ञानवती जी, साध्वीश्री विवेकश्री जी, साध्वीश्री कंचनबाला जी ने अपने उद्गार व्यक्त किए। सेवाग्राही तथा सेवादायी साध्वियों ने गीतिका के माध्यम से अपने भाव व्यक्त किए।
कार्यक्रम की शुरुआत महिला मण्डल ने मंगलाचरण से की। तेरापंथ कन्या मंडल, तेरापंथी सभा की तरफ से गीतिका के माध्यम से भाव व्यक्त किये गए। तेरापंथी सभा के निर्वतमान अध्यक्ष व तेरापंथ न्यास के ट्रस्टी अमरचन्द सोनी, सभा के मंत्री जतन संचेती, आचार्य तुलसी शान्ति प्रतिष्ठान के पूर्व अध्यक्ष हंसराज डागा, तेरापंथ युवक परिषद् से उपाध्यक्ष ललित राखेचा, अणुव्रत समिति से करणीदान रांका, युवक रत्न राजेन्द्र सेठिया, रोहित बैद ने अपने भाव व्यक्त किए। कार्यक्रम का सफल संचालन तेरापंथी सभा के कोषाध्यक्ष रतन छलाणी ने किया।
