साध्वीश्री राकेश कुमारी जी ठाणा-4 के सान्निध्य में वापी की महावीर रेजीडेंसी में वापी ज्ञानशाला के वार्षिक उत्सव का आयोजन किया गया। सर्वप्रथम ज्ञानार्थियों का स्वागत तिलक से किया गया। साध्वीश्री राकेश कुमारी जी ने नमस्कार महामंत्र से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। ज्ञानशाला प्रशिक्षिका बहनों के द्वारा
मंगलाचरण किया गया। ज्ञानशाला की मुख्य प्रशिक्षिका पूनम जी डांगरा ने स्वागत वक्तव्य दिया गया। वापी सभा के अध्यक्ष झंवर जी गुलगुलिया ने भी स्वागत वक्तव्य दिया। महासभा से ज्ञानशाला के आंचलिक संयोजक प्रवीण जी मेडतवाल (सूरत), ज्ञानशाला के आंचलिक सह-संयोजक राजेश जी बाफना (उधना), वापी ज्ञानशाला क्षेत्रीय संयोजक भावेश जी हिरण (डूंगरी), ज्ञानशाला क्षेत्रीय सह-संयोजक प्रकाश जी कालिया (नवसारी) वापी ज्ञानशाला संयोजीका छाया जी कोठारी की गरिमामयी उपस्थिति रही। सभी ने ज्ञानशाला के विकास हेतु तथ्य श्रावक समाज के समक्ष रखे। अंडर 5 के बच्चों ने रोचक प्रस्तुति दी। इसी के साथ पहचानो कौन पहेली के द्वारा साधु-साध्वी के उपकरण को श्रावक समाज के समक्ष बताया गया। इसी के साथ कुछ रोचक प्रस्तुतियां भी हुई।
ज्ञानार्थियों ने कषाय विषय पर नाटिका के माध्यम से रोचक प्रस्तुति दी। वापी से अभातेयुप मीडिया सलाहकार संजय जी भंडारी, विजय जी बोथरा ने भी अपने विचार व्यक्त किए। मुख्य अतिथि के रूप में गुजरात सरकार के वन मंत्री श्री रमन भाई पाटकर उपस्थित रहे, उन्होंने तेरापंथ समाज द्वारा चलाई जा रही गतिविधियों की सराहना की। साध्वीश्री चेतस्वी प्रज्ञा जी ने ज्ञानार्थियों में ज्ञान का विकास कैसे हो एक रोचक प्रसंग के माध्यम से बताया। साध्वीश्री राकेश कुमारी जी ने बच्चों को समाज और राष्ट्र का भविष्य बताते हुए ज्ञानशाला को गणधिपति पूज्य गुरुदेव तुलसी की देन बताया। सभा मंत्री विमलजी, ट्रस्ट अध्यक्ष श्रीचंद जी दुगड, तेयुप अध्यक्ष मुकेश जी वागरेचा, महिला मंडल अध्यक्ष एकता जी कच्छारा, मंत्री दीपिका जी अपनी टीम के साथ उपस्थित रहे।
शिशु संस्कार बोध परीक्षा की व्यवस्थापिका प्रीति जी सांखला ने बच्चों का रिजल्ट अलाउंस किया और साथ बच्चों का सम्मान किया गया। श्रेष्ठ ज्ञानार्थी दिवित भलावत, श्रेष्ठ प्रशिक्षिका श्रद्धा जी कोठारी, वरिष्ठ प्रशिक्षिका मंजू जी कोठारी, विशिष्ट सहयोगी सरिता जी सियाल रहे। कार्यक्रम का संचालन श्रद्धा जी कोठारी, प्रिया जी ने किया। इस कार्यक्रम के विशिष्ट सहयोगी के रूप में रतनी देवी कन्हैया लाल जी बोथरा उपस्थित रहे। ज्ञानशाला की सह-संयोजिका शीतल जी डुंगरवाल ने सभी का आभार किया।
