मुनिश्री जिनेश कुमार जी के सान्निध्य में अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल व प्रेक्षा फाउन्डेशन के निर्देशानुसार व तेरापंथ महिला मंडल के द्वारा मंत्र प्रेक्षा कार्यशाला का आयोजन तेरापंथ भवन में हुआ। इस अवसर पर मुनिश्री जिनेश कुमारजी ने कहा कि हर व्यक्ति सुख का जीवन चाहता है। पर जीवन का सुख नहीं चाहता। जीवन का सुख मिले बिना व्यक्ति सुखी नहीं बन सकता। सुखी जीवन जीने का महत्वपूर्ण आलंबन है-मंत्र प्रेक्षा विशिष्ठ अक्षरों की संयोजना का नाम मंत्र है। मंत्र शक्ति अचिन्त्य होती है। इसका प्रभाव निराला है। मंत्र साधना के द्वारा व्यक्ति शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक स्वास्थ्य को प्राप्त हो सकता है। मंत्रों में एक मंत्र है नमस्कार महामंत्र। यह सभी मंत्रों में श्रेष्ठ मंत्र है। यह नवकार मंत्र दुःखों को हरण करने वाला, सुखों का प्रदाता, यशदाता और भव सागर का शोषण करने वाला है। इस लोक और परलोक में सुख का मूल यही है। यह मंत्र नहीं महामंत्र है। यह मंत्र अनंत शक्ति व अनंत ऊर्जा से भरा हुआ है। निरन्तर जपने से लब्धियां प्राप्त होती है और समस्याओं का समाधान मिलता है मुनि श्री ने आगे कहा कि नमस्कार महामंत्र जिनशासन का सार है और 14 पूर्वाें का सार है, और उपसर्ग उपद्र व शांत होते हैं। मुनिश्री ने नवकार मंत्र का ध्यान कराया। मंगलाचरण साउथ कोलकाता तेरापंथ महिला कि बहिनों ने नवकार गीत के साथ किया। स्वागत भाषण साउथ कोलकाता तेरापंथ महिला मंडल कि अध्यक्षा श्रीमती पदमा जी कोचर ने व वंदना जी ने प्रेक्षाध्यान की जानकारी दी। आभार ज्ञापन मंत्री अनुपमा नाहटा ने किया। कार्यक्रम का संचालन मुनिश्री कुणाल कुमार जी ने किया।
