साध्वीश्री प्रोफेसर मंगलप्रज्ञा जी के सान्निध्य में घाटकोपर स्थित तेरापंथ भवन में मर्यादा महोत्सव हर्षाेल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर उपस्थित धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए साध्वीश्री मंगलप्रज्ञा जी ने कहा कि जैनशासन में संघबद्ध साधना का विशिष्ट महत्व है। नियुक्ति साहित्य में कहा गया है-‘आणा जुत्रो-संघो’। आज्ञा युक्त संघ होता है। हमें प्रवर सौभाग्य से मर्यादित, अनुशासित एक गुरु निष्ठ धर्मसंघ मिला है। विद्रोह और विरोध के बावजूद आचार्य श्री भिक्षु शुद्धाचार, विचार के साथ साधना के राजपथ पर आगे बढ़ते रहे। उन्होंने क्रांतिकारी जीवन जीया, कभी रुके, झुके नहीं सत्य-मार्ग पर चलते रहे। एक आचार्य की परम्परा प्रदान कराने वाले मर्यादा पुरुषोत्तम भिक्षु ने जीवनभर अध्यात्म जागरण का सिंहनाद किया, ज्ञान का प्रकाश बांटा। तेरापंथ का समर्पण और एक गुरु की आज्ञा अद्भुत है।
वर्तमान में हम शक्तिशाली युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी की शासना में साधना कर रहे हैं। वे संघ की सारना-वारना और पालन-पोषण कर रहे हैं। संवर्धन कर रहे हैं। साध्वीश्री जी ने परिषद को प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि आचार्य भिक्षु का अनुशासन घर-परिवार में आए। सुविधाओं का संयम करें। मर्यादा के संस्कारों को भावी पीढ़ी में संक्रान्त करें। अपनी सोच को ब्रान्डेड बनाएं। आवश्यकता है विवेक चेतना के जागरण की।
साध्वीश्री सुदर्शनप्रभा जी और साध्वीश्री शौर्यप्रभा जी ने जयाचार्य अष्टकम से मंगलाचरण की। साध्वीश्री अतुलयशा जी ने कहा कि आचार्य भिक्षु महान योगी, ध्यानी, स्वाध्यायी थे। साध्वीश्री सुदर्शनप्रभा जी, साध्वीश्री अतुलयशा जी, साध्वीश्री राजुलप्रभा जी, साध्वीश्री चौतन्यप्रभा जी और साध्वीश्री शौर्यप्रभा जी ने सामूहिक संगान कर वातावरण में समरसता भर दी। तेरापंथ सभा, घाटकोपर के पूर्व अध्यक्ष ख्याली लाल जी तातेड़, तेरापंथ युवक परिषद अध्यक्ष नीलेश बाफना, अमेरिका से समागत, सेवामेंटो सेन्टर के पूर्व अध्यक्ष जगदीश भाई जैन एवं उनकी पत्नी कल्पना जैन ने विचार प्रस्तुत किए। तेरापंथ महिला मंडल, घाटकोपर की बहनों ने सामूहिक संगान किया। तेरापंथ युवक परिषद कोषाध्यक्ष राकेश ने सम्पूर्ण सभा की ओर से साध्वीश्री जी के आगामी यात्रा की मंगलकामना की। तेरापंथ सभा की ओर से समागत अतिथिगण का सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन साध्वीश्री सुदर्शनप्रभा जी ने किया।
