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161वें मर्यादा महोत्सव का आयोजन : रावलिया कला

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161वां मर्यादा महोत्सव शासनश्री मुनिश्री रविंद्र कुमार जी एवं मुनिश्री अतुल कुमार जी के सान्निध्य में श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथ सभा के तत्वावधान में तेरापंथ धर्मसंघ के महाकुंभ कहे जाने वाले मर्यादा महोत्सव का आयोजन ऋषिराय धाम में हुआ। मुनिश्री अतुल कुमार जी ने मंगल उद्बोधन में कहा कि तेरापंथ धर्मसंघ की जीवंतता का आधार है-मर्यादा और अनुशासन। दो पन्ने के मर्यादा पत्र की अद्भुत ताकत और ऊंचाई हिमालय से भी कहीं ज्यादा ऊंची है। लगभग 160 वर्ष पूर्व जयाचार्य ने संविधान की ताकत को समझा और इसकी गहराई को मापा तो उन्होंने इसे समुद्र तल से अधिक गहरा पाया। तेरापंथ धर्मसंघ में मर्यादाओं को महोत्सव का रूप उन्होंने ही प्रदान किया। भौतिक जीवन हो या संन्यास जीवन प्रत्येक अवस्था में मर्यादा और संयम होना चाहिए। धरती, आकाश, समुद्र, सूर्य, चंद्रमा और तारे, व्यक्ति, धर्म और समाज सभी अपनी-अपनी सीमाओं में बंधे हैं। जब-जब इनकी सीमाएं टूटती हैं प्रकृति प्रलय लाती है और समाज अराजकता में बदल जाता है। किसी भी धर्मगुरु, संगठन, संस्था या संघ की मजबूती का मुख्य आधार है-मर्यादा। वर्तमान में तेरापंथ धर्मसंघ में लगभग एक हजार साधक एक छत की नीचे साधना कर रहे हैं जिसका आधार है-सहनशीलता। सहनशीलता का अर्थ है धैर्य रखना। दूसरों के अस्तित्व को स्वीकार करना, सबके साथ रहने की क्षमता और दूसरों के विचारों को सुनना-यही शांतिपूर्ण और सभ्य समाज बनाने का आधार है और यही मर्यादा महोत्सव के समारोह का आधार है। परिवार, गांव, समाज जैसी संस्थाएं बिखर रही हैं, रिश्ते खत्म हो रहे हैं। आत्मीयता खत्म हो रही है। आधुनिक मीडिया के कारण जहां दुनिया छोटी होती जा रही है, वहीं मनुष्य ने अपने चारों ओर अहंकार की दीवारें खड़ी कर ली हैं, जिनमें सहनशीलता के लिए कोई जगह नहीं है।
मुनिश्री रविंद्र कुमार जी ने मंगल पाठ सुनाया। मंगलाचरण रावलिया कन्या मंडल ने किया। स्वागत वक्तव्य सभा अध्यक्ष नरेश राठौड़ (मुंबई, पालघर) ने दिया। ऋषिराय धाम चौरिटेबल ट्रस्ट की ओर से नाना लाल राठौड़, देवी लाल पटावरी (केलवा), नाथद्वारा सभा उपाध्यक्ष राकेश कोठारी एवं निधि बंब ने विचार रखे। केलवा और रावलिया महिला मंडल व किशोर मंडल ने मधुर गीतिका का संगान किया। कार्यक्रम का संचालन गणेश बंब ने किया। इस दौरान उदयपुर, गोगुंदा, रावलिया खुर्द, पदराडा, सेमंड, नांदेश्मा, सायरा, केलवा, नाथद्वारा, भीलवाड़ा (पुर) सहित अच्छी संख्या में लोग उपस्थित रहे।

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