जय महाश्रमण भगवान।
तव चरणों में अर्पित मेरे तन मन प्राण।
जन्मभूति सरदार शहर में दूगड़ कुल विख्यात।
तुलसी महाप्रज्ञ गुरु पाये कृपा निधान।।
जिनशासन यश झण्डी शिखरों फहराई।
कल्याणी वाणी से जग पाता परित्राण।।
करूणा रस से भीगा रोम-रोम तेरा।
तेरापंथ अधिनायक! करूं सतत सम्मान।।
दीक्षा कल्याणक दिन गणवन में पुलकन।
प्रमुदित मन गुण गाऊं भक्ति भरा संगान।।
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