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बाजारों, चौराहों तक पहुंचे अणुव्रत : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण

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– 77वां अणुव्रत स्थापना दिवस

– कच्छ धरा को पावन बनाते हुए गतिमान ज्योतिचरण

1 मार्च, 2025, शनिवार, लूणी, कच्छ (गुजरात)।
57 हजार किलोमीटर से अधिक की पदयात्रा कर देश-विदेश में सदाचार की सौरभ महकाते हुए अणुव्रत अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमण जी गुजरात राज्य में वर्तमान में विचरण करा रहे हैं। आचार्यश्री के सान्निध्य में आज अणुव्रत का 77वां स्थापना दिवस भी मनाया गया। अणुव्रत प्रवर्तक आचार्य श्री तुलसी द्वारा प्रवर्तित यह आंदोलन छोटे-छोटे व्रतों द्वारा व्यक्ति, समाज तथा राष्ट्र में नैतिक उन्नयन की बात करता है। वर्तमान में आचार्यश्री महाश्रमण जी के नेतृत्व में विभिन्न क्षेत्रों एवं वर्गों में अणुव्रत का कार्य किया जा रहा है। विहार के क्रम में प्रातः मुंद्रा से आचार्यश्री ने प्रस्थान किया और लगभग 9.6 कि.मी. विहार कर लूणी ग्राम में पधारे जहां महाजन वाडी भवन में गुरुदेव का प्रवास हुआ। इस अवसर पर अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी द्वारा अणुव्रत रैली भी निकाली गई।
मुख्य प्रवचन कार्यक्रम में उद्बोधन प्रदान करते हुए गुरुदेव ने कहा कि आज के दिन परमपूज्य आचार्य श्री तुलसी ने विक्रम संवत् 2005 सरदारशहर में अणुव्रत का शुभारंभ किया था। आज के दिन तेरापंथ के अष्टम आचार्य कालुगणी का जन्म दिवस भी है। शायद अपने गुरु के जन्म दिवस को ध्यान में रखकर ही आज अणुव्रत का शुभारंभ किया। आचार्य श्री तुलसी ने अनेक उन्मेश, अवदान प्रदान किए। उनमें एक अवदान यह अणुव्रत आंदोलन है। अणुव्रत का पालन करने के लिए धार्मिक होना जरूरी नहीं, हर व्यक्ति अणुव्रत को अपना सकता है। गुरुदेव श्री तुलसी ने अणुव्रत के शुभारंभ के बाद कई क्षेत्रों की यात्राएं की। कोलकाता पधारे, दक्षिण भारत में भी पधारे और कच्छ की धरती को भी उन्होंने पावन किया।
गुरुदेव ने आगे फरमाया कि आज अणुव्रत की स्थापना का प्रसंग है। अणुव्रत की कई संस्थाएं भी हैं। अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी, अखिल भारतीय अणुव्रत न्यास जैसी कार्यकारी संस्थाएं हैं। अणुव्रत धर्म स्थानों पर ही नहीं बल्कि जेलों में जाए, बाजारों पर, चौराहों तक जाए, दुकान, ऑफिस, विद्यालयों में अणुव्रत पहुंचे। अणुव्रत हर व्यक्ति के जीवन में आ जाए तो वह सब जगह आ जाएगा। अहिंसा रूपी अणुव्रत जीवन में आए और संयम की साधना रहे। साथ ही तप भी हो। जगह-जगह अणुव्रत समितियां हैं। एक वृहद नेटवर्क है। राजनीति, शिक्षा, व्यापार हर क्षेत्र में अणुव्रत की आवश्यकता है।
कार्यक्रम में अणुविभा के अध्यक्ष श्री प्रताप दुगड़, महामंत्री श्री मनोज सिंघवी ने अपने विचार व्यक्त किए। अणुविभा टीम द्वारा गीत का संगान किया गया। महाजन वाडी भवन की ओर से श्री नितिन केडिया ने गुरुदेव का स्वागत किया।

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