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लोणार की धरा पर तेरापंथ ग्यारहवें अनुशास्ता का प्रथम पावन पदार्पण

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-श्रद्धा से आह्लादित जनता ने महातपस्वी महाश्रमण का किया भव्य स्वागत-अभिनंदन
-स्वागत जुलूस में दिखा सद्भावना का व्यापक प्रभाव, हर वर्ग के श्रद्धालु हुए शामिल
-स्वागत जुलूस संग शांतिदूत पहुंचे द ग्राण्ड विश्वनाथ मंगल कार्यालय परिसर
-अच्छी बातों के श्रवण से बदल सकती है मानव की दिशा व दशा : मानवता के मसीहा महाश्रमण
लोणारवासियों ने अपने आराध्य की अभिवंदना में दी भावनाओं की अभिव्यक्ति
30.05.2024, गुरुवार, लोणार, बुलढाणा (महाराष्ट्र) :
बुलढाणा जिले का ऐतिहासिक प्रसंगों से जुड़ा लोणार शहर। विदर्भ क्षेत्र में स्थित लोणार शहर में लगभग 52 हजार वर्ष पूर्व उल्कापिंड के गिरने से एक खारे पानी की झील भी स्थित है, जो अपने आपमें अनूठी है और विश्व विख्यात है। इसके साथ ही यहां अनेक ऐतिहासिक मंदिर भी लोणार शहर की पुरातनता को दर्शाते हैं। ऐसे पुरातन और ऐतिहासिक शहर में जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, युगप्रधान, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी का प्रथम पदार्पण लोणार के श्रद्धालुओं के उत्साह को चरम पर पहुंचा रही थी। इतना ही नहीं, वर्तमान अधिशास्ता तेरापंथ की आचार्य परंपरा में भी प्रथम आचार्य बने, जो लोणार को अपनी चरणरज से पावन पधार रहे थे।
हालांकि युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने बुधवार को लोणार की जनता के प्रार्थना को ध्यान में रखते हुए बुधवार को सान्ध्यकालीन विहार करना स्वीकार किया और मातमल से मंगल प्रस्थान भी कर दिया। आचार्यश्री के इस निर्णय से अब लोणार को अपने आराध्य का दो रात्रि का प्रवास प्राप्त होने वाला था। अपने आराध्य की ऐसी महति को कृपा को प्राप्त कर लोणार के श्रद्धालुओं का उत्साह व उमंग भी मानों द्विगुणित हो गया। सान्ध्यकाल में लगभग 5 किलोमीटर का विहार कर युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने लोणार में स्थित डॉ. उत्तमचंद चोरड़िया के निवास स्थान ‘कमलोत्तम’ में पधारे। संसारपक्ष में मुनि पुलकितकुमारजी का परिवार परमानंद की अनुभूति कर रहा था। गुरुवार को प्रातःकाल की मंगल बेला में लोणार के लिए निर्धारित मूल प्रवास स्थल लगभग एक किलोमीटर भी नहीं था, किन्तु प्रथम बार अपने किसी आचार्य को अपनी धरा पर पाकर उत्फुल्ल बनी लोणार की जनता उनके दर्शन, आशीर्वाद को लालायित नजर आ रही थी। इसलिए शहर के सभी मार्गों पर जन समुदाय उमड़ आया था। भक्तों पर कृपा बरसाने वाले शांतिदूत आचार्यश्री भी जन-जन की भावनाओं को स्वीकार करते हुए आगे बढ़ रहे थे। ऐसे में एक किलोमीटर से कम की दूरी भी तय करने में आचार्यश्री को लगभग दो घंटे से भी अधिक का समय लग गया। भव्य स्वागत जुलूस के बुलंद जयघोष से गुंजायमान लोणार का वातावरण महाश्रमणमय बन रहा था। तेरापंथ समाज व केवल जैन समाज ही नहीं, लोणार का जन-जन संभागी बन रहा था। वाकरी संप्रदाय के सदस्य रामधुन का किर्तन करते हुए तेरापंथ के राम का अभिनंदन कर रहे थे। भव्य स्वागत जुलूस के साथ आचार्यश्री लोणार के बाहरी भाग में स्थित द ग्राण्ड विश्वनााि होटल एण्ड लॉन्स में पधारे।
इस परिसर में बने हॉल में आयोजित मुख्य प्रवचन कार्यक्रम में उपस्थित जनसमुदाय को मानवता के मसीहा, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि आदमी कानों से श्रवण करता है। श्रवण शक्ति सक्षम होती है तो शब्दों के स्पर्श करने पर आदमी सुनता है। सुनकर आदमी ज्ञान प्राप्त करता है। सुनने से अच्छे और बुरे दोनों का ज्ञान होता है। उससे आदमी कल्याण को भी जान लेता है। श्रोता यदि अच्छी बातों को सुनकर जीवन में उतार ले तो उसके जीवन का कल्याण हो सकता है। ज्ञानी साधु-संत के प्रवचन न जाने कितनों के जीवन का कल्याण करने वाले हो सकते हैं। श्रोता व वक्ता का तारतम्य होता है। इससे सुनने और बोलने वाले दोनों को लाभ प्राप्त होता है। प्रवचन से कई जानकारियां भी प्राप्त हो जाती हैं। सुनने से कल्याण और पाप दोनों को जाना जा सकता है, लेकिन सुनकर सत्पथ को अपनाया जाए तो उससे आदमी के जीवन की दशा व दिशा बदल सकता है। सुनने से कभी-कभी ऐसी चेतना का भी जागरण हो सकता है कि आदमी सांसारिक व्यामोह का त्याग कर साधु बनकर अपने जीवन को धन्य बना सकता है।
मंगल प्रवचन के उपरान्त आचार्यश्री ने लोणारवासियों को आशीष प्रदान करते हुए कहा कि यहां की जनता में खूब अच्छी धार्मिक भावना बनी रहे। तदुपरान्त साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी ने भी उपस्थित जनता को उद्बोधित किया।
संसारपक्ष में लोणार से संबंधित मुनि आलोककुमारजी, मुनि पुलकितकुमारजी, साध्वी उज्जवलप्रभाजी व साध्वी अनुप्रेक्षाश्रीजी ने अपने-अपने हृदयोद्गार व्यक्त किए। स्थानीय तेरापंथी सभा के अध्यक्ष श्री अनिल चोरड़िया, तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष श्री दीपक कोचर, तेरापंथ महिला मण्डल की अध्यक्ष श्रीमती अनिता चोरड़िया, सकल राजस्थानी समाज की ओर से श्री भीकमचंद रेदासनी, मूर्तिपूजक समाज की ओर से डॉ. संतोष संचेती, केमिस्ट संघटना की ओर से श्री मनोज गोगड़ व पत्रकार संघटना की ओर से श्री सुगनचंद कोटेचा व बालिका प्रेरणा जोगड़ ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। तेरापंथ महिला मण्डल व तेरापंथ कन्या मण्डल, स्थानकवासी चैतन्य भक्ति मण्डल, लोणार की बहन-बेटियों व जंवाई ने पृथक्-पृथक् स्वागत गीत का संगान किया। तेरापंथ कन्या मण्डल ने अपनी भावात्मक प्रस्तुति दी।

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