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अभय दान से बढ़कर कोई दान नहीं : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण

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– स्वागत प्रस्तुतियों द्वारा आराध्य की अभिवंदना

– मध्यान्ह में 5.5 किमी विहार कर सारंब पधारे ज्योतिचरण

26.05.2024, रविवार, सारंब, बुलढाणा (महाराष्ट्र) :
परमार्थ को अपना जीवन समर्पित कर देने वाले, निरंतर पदयात्राओं द्वारा जनकल्याण करने वाले युगप्रधान आचार्य श्री श्री महाश्रमण जी गर्मी के इस पीक मौसम में भी सदा की तरह प्रलंब विहार करते हुए गतिमान है। महाराष्ट्र का विदर्भ क्षेत्र आचार्य श्री के चरणों से पावन बन रहा है तो गुरुदेव भी क्षेत्रों को अधिक से अधिक कृतार्थ करने सुबह–शाम दोनों समय विहार करा रहे है। कल सायं गुरुदेव टाकरखेड़ भागिले से मध्यान्ह में लगभग 6 किमी विहार कर देवलगांव मही पधारे। निर्धारित दिन से एक दिन पूर्व ही गुरुदेव का प्रवास प्राप्त कर गांववासी निहाल हो उठे। डिआरबी इंटरनेशनल स्कूल में गुरुदेव का प्रवास हुआ। रविवार को प्रातः नगर में गुरुदेव पधारे एवं जैन भवन आदि में मंगलपाठ प्रदान कर श्रद्धालुओं को आशीष प्रदान किया।

मुख्य प्रवचन कार्यक्रम में धर्म देशना देते हुए गुरुदेव ने कहा – हमारे भीतर भय की वृति होती है। कोई व्यक्ति अंधकार से, कुछ अपनी बीमारी से व कुछ दूसरे की बीमारी से, कुछ चूहे, बिल्ली जैसे जानवरों से भी डर जाते हैं। दूसरे को भय मुक्त कर देना सबसे बड़ा दान है। दानों में सबसे बड़ा दान अभयदान को कहा गया है। एक राजा शिकार के लिए निकला व एक हरिन को देखकर तीर से उसका वध कर दिया। दूसरी ओर एक ध्यानस्थ मुनि को भी उसने देखा और यह सोचकर वह डर गया कि जिस हरिन का उसने वध किया, वह हरिन इस साधु का भी हो सकता है, साधु कहीं मुझ पर कुपित न हो जाय, अतः उससे क्षमा मांग लेनी चाहिए। कुछ देर बाद जैसे ही साधु का ध्यान सम्पन्न हुआ, राजा ने हरिन वध की बात बताकर साधु से क्षमा मांगी। साधु जो किसी को तन, मन व वचन से दुःख नहीं देते, ने कहा मेरी और से तो अभय दान है। मेरी और से कोई प्रतिक्रिया नहीं होगी। लेकिन तुम भी प्राणियों को अभय दान दो। गुरुदेव ने आगे कहा कि व्यक्ति ना खुद डरें, न किसी को डराएँ। स्वयं भी भय मुक्त रहें और दूसरों को भी अभय का दान दे। जब भीतर में भय होता है तो व्यक्ति हिंसा भी कर सकता है। इसलिए समस्त प्राणियों के प्रति अभय का भाव रखना चाहिए।

इस अवसर पर साध्वीप्रमुखा विश्रुत विभा जी ने सारगर्भित उद्बोधन प्रदान किया।
तत्पश्चात अपनी जन्मभूमि पर मुनि चिन्मय कुमार जी ने भावाभिव्यक्ति दी। स्वागत के क्रम में क्षेत्रीय विधायक श्री राजेंद्र सिंघने, तेरापंथ सभा देवलगांव महि की ओर से श्री राजेंद्र आंचलिया, श्री आशुतोष गुप्ता, श्री अशोक कोटेचा, स्कूल की ओर से श्री अजीतदादा बेगानी ने गुरुदेव का अभिनंदन किया। विशेष रूप से उपस्थित मुंबई हाईकोर्ट के जज श्री कमलकिशोर तातेड ने विचारों की अभिव्यक्ति दी।

सामूहिक प्रस्तुति करते हुए तेरापंथ युवक परिषद, तेरापंथ महिला मंडल, तेरापंथ कन्या मंडल, गांव की बहन बेटियां, ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने गीत आदि का संगान किया।

मध्यान्ह में आचार्य श्री ने डीआरबी इंटरनेशनल स्कूल से प्रस्थान किया। लगभग 5.5 किमी विहार कर सारंब गांव में रात्रि प्रवास हेतु पधारे। रात्रि में व्याख्यान का क्रम भी रहा जिसमें गुरुदेव ने गांव वासियों को प्रतिबोधित किया।

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