-चतुर्विध धर्मसंघ ने अर्पण की श्रद्धाभिव्यक्ति, अनेक रूपों में वर्धापित हुए युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण
-अभिवंदना करने पहुंचे लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला व राज्यमंत्री रावसाहेब दानवे
22.05.2024, मंगलवार, जालना (महाराष्ट्र) :
वैशाख शुक्ला चतुर्दशी। जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के लिए अतिमहत्त्वपूर्ण दिवस। तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, युगप्रधान, शांतिदूत अनेक विभूषणों से विभूषित मानवता के महासूर्य आचार्यश्री महाश्रमणजी के 50वें दीक्षा कल्याण महोत्सव वर्ष सम्पन्नता का शिखर दिवस। चतुर्विध धर्मसंघ में उत्साह, उल्लास का उमड़ता ज्वार। ब्रह्ममुहूर्त में ही श्रद्धालुओं की भीड़ श्रीचरणों में उमड़ आई। तेरापंथ धर्मसंघ की अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद संस्था तो आज के दिन को युवा दिवस के रूप में समायोजित करती है। अपने आराध्य की वर्धापना का जो क्रम ब्रह्ममुहूर्त से प्रारम्भ हुआ सूर्योदय के साथ ही अपने चरम तक पहुंचने लगा। श्री गुरु गणेश तपोधाम परिसर श्रद्धालुओं की उपस्थिति से जनाकीर्ण नजर आने लगा। जालना की धरा आज आध्यात्मिक आभा से आप्लावित नजर आ रही थी।
शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी के महामंगल बृहद् महामंत्रोच्चार के साथ दीक्षा कल्याण महोत्सव समारोह के शिखर दिवस का शुभारम्भ हुआ। जालना ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी। आचार्यश्री ने आशीष प्रदान करते हुए ज्ञानशाला के बच्चों में संस्कार के विकास के साथ धार्मिक ज्ञान बढ़े।
समणीवृंद गीत का संगान करने के उपरान्त आचार्यश्री को वर्धापना पत्र भी उपहृत किया। साध्वीवृंद ने व संतवृंद ने गीत के माध्यम से अपने आराध्य की अर्चना की। अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री रमेश डागा ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी, तदुपरान्त अभातेयुप के अनेक पदाधिकारियों ने अपनी प्रस्तुतियां भी दीं।
आचार्यश्री के संसारपक्षीय परिवार द्वारा एक डाक्यूमेंट्री की प्रस्तुति दी गई। आचार्यश्री के सर्वज्येष्ठ भ्राता श्री सुजानमल दूगड़ आदि अपने भाइयों के साथ आज्ञा पत्र का प्रारूप सौंपा। दूगड़ परिवार ने गीत का संगान किया।
संवाद महाश्रमण से
साध्वीवर्या सम्बुद्धयशाजी, मुख्यमुनिश्री महावीरकुमारजी व साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी ने आचार्यश्री के 50वें दीक्षा कल्याण महोत्सव वर्ष की पूर्णता पर ‘संवाद महाश्रमण भगवान से’ कार्यक्रम की आध्यात्मिक व रोचक प्रस्तुति दी गई तो पूरा वातावरण आध्यात्मिकता से आप्लावित हो उठा।
साध्वीप्रमुखाश्रीजी के प्रथम प्रश्न किया आपके दीक्षा से पूर्व जब मुनिश्री सुमेरमलजी ने आपसे कहा था कि मोहन! तुम्हें त्याग के मार्ग पर जाना है या भोग के मार्ग पर। उनके प्रश्न के बाद आपमें प्राफिट और लॉस की विवेक शक्ति कैसे जागृत हुई? आचार्यश्री ने इसका उत्तर प्रदान करते हुए कहा कि मुझे भी थोड़ा आश्चर्य हो रहा है कि बारहवें वर्ष में मैंने इतने प्लस व माइनस का चिंतन कैसे किया, किन्तु कालूगणी की माला अवश्य फेरी। उस दिन उनकी तिथि भाद्रव शुक्ला छठ का दिन था। माला फेरने के बाद मैंने कुछ दिव्य सहयोग भी रहा होगा, लेकिन मैंने बहुत बढ़िया चिंतन और निर्णय कर लिया कि ऐसा पथ प्राप्त हो गया।
साध्वीवर्याजी ने प्रश्न करते हुए कहा कि आपने जिस श्रद्धा व उत्साह के साथ अभिनिष्क्रमण किया था, संयम के प्रति वहीं श्रद्धा व उत्साह निरंतर वर्धमान है, इसका क्या राज है? आचार्यश्री ने कहा कि इसमें मोहनीय कर्म का क्षयोपशम जितना सुदृढ़ होता है, उस हिसाब वह भाव पुष्ट रह सकता है। यह बहुत सौभाग्य की बात है कि आज पचास वर्ष सम्पन्न हो रहे हैं। हो सकता है कि पिछले जन्म की कोई साधना व तपस्या की हुई है, जो आधार बना हुआ है।
मुख्यमुनिश्री ने जिज्ञासा करते हुए कहा कि आपकी साधनाकाल के पचास वर्षों में अनेक अनुभूतियां की होंगी। इन पचास वर्षों में आपकी विशेष अनुभूतियों को जानने की इच्छा है ? आचार्यश्री ने इसका समाधान प्रदान करते हुए कहा कि आज के दिन हमें मुनि सुमेरमलजी स्वामी (लाडनूं) से दीक्षा प्राप्त हुई। पचास वर्षों के बाद आज का दिन आया है। मैंने इस दौरान ध्यान की साधना में भी समय लगाया है। कंठस्थ करना, ज्ञान सीखना, चितारना करना आदि कार्य किया। परम पूज्य गुरुदेव तुलसी, परम पूज्य महाप्रज्ञजी तथा अनेक रत्नाधिक संतों के साथ रहना हुआ। मुझे पचास वर्षों में कई से प्रेरणा व आगमों आदि से मिली। कई संकल्प ऐसे जागे, जिन पर आज भी चल रहे हैं। इस प्रकार सीधे मंच पर आचार्यश्री से साध्वीप्रमुखाजी, मुख्यमुनिश्री व साध्वीवर्याजी अपनी जिज्ञासाएं प्रस्तुत करते रहे और आचार्यश्री उन्हें समाहित करते रहे। यह प्रसंग उपस्थित समस्त श्रद्धालुओं को आह्लादित व भावविभोर करने वाला था।
आज के समारोह में लोकसभा के अध्यक्ष श्री ओम बिड़ला, जालना के सांसद व भारत सरकार के रेलवे एवं कोयला राज्यमंत्री श्री रावसाहेब दानवे विशेष रूप से उपस्थित थे। जालना व्यवस्था समिति के अध्यक्ष श्री सचिन पिपाड़ा ने स्वागत वक्तव्य दिया। महासभा के मुख्य न्यासी श्री महेन्द्र नाहटा ने अपनी भावाभिव्यक्ति देते इस अवसर पर महासभा चिकित्सा सहयोग योजना के शुभारम्भ की घोषणा की। महासभा के अध्यक्ष श्री मनसुखलाल सेठिया ने भी आचार्यश्री को वर्धापित करते हुए सेवा साधक श्रेणी के शुभारम्भ की घोषणा की।
साध्वीवर्या साध्वी सम्बुद्धयशाजी ने आचार्यश्री को वर्धापित करते हुए साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी के तीसरे चयन दिवस पर मंगलकामना की। साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी ने भी आचार्यश्री की अभ्यर्थना करते हुए आज के दिन स्वयं के चयन अवसर पर दायित्व के निर्वहन का आशीर्वाद मांगा। साध्वी समाज की ओर रजोहरण, प्रमार्जनी व दीक्षा कल्याण महोत्सव का एलवान भी गुरुचरणों में समर्पित किया। जिसे मुख्यमुनिश्री ने गुरुदेव को धारण करवाया। साध्वीवृंद ने मंगल मंत्रों का संगान किया। मुख्यमुनिश्री महावीरकुमारजी ने भी अपने सुगुरु के चरणों की अभ्यर्थना करते हुए तेरापंथ धर्मसंघ के विभिन्न उपक्रमों की जानकारी प्रदान की।
पुनः आशीर्वाद देने पधारें : राज्यमंत्री दानवे
इस समारोह में उपस्थित भारत सरकार के रेलवे व कोयला राज्यमंत्री श्री रावसाहेब दानवे ने कहा कि सर्वप्रथम मैं आचार्यश्री महाश्रमणजी के चरणों में अपना वंदन अर्पित करता हूं। हमारे जालना का सौभाग्य है कि आज आचार्यश्री के दीक्षा कल्याण महोत्सव का समायोजन हो रहा है। हमारी इस पवित्र भूमि में आचार्यश्री महाश्रमणजी का शुभागमन हम जालनावासियों के परम सौभाग्य की बात है। मैं प्रार्थना करता हूं कि आप अगले वर्ष भी हम सभी को आशीष देने को पधारें।
मानवता के लिए समर्पित है आपका जीवन : लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला
भारत के लोकसभा के अध्यक्ष श्री ओम बिड़ला ने कहा कि मानव के कल्याण के लिए अपने जीवन को समर्पित करने वाले आचार्यश्री महाश्रमणजी को शत-शत वंदन और नमन करता हूं। आपने अल्पायु में दीक्षा ग्रहण कर आचार्यश्री तुलसी व आचार्यश्री महाप्रज्ञजी के सान्निध्य में इस जीवन का शुभारम्भ किया। आपका जीवन दूसरों को जीवन जीने की राह दिखाता है।
आपने सुदूर जंगल में रहने वाले लोगों को भी सात्विक व स्वस्थ जीवन जीने की प्रेरणा प्रदान की। साथ ही करोड़ों लोगों को नशामुक्ति का संकल्प कराया। आपने उनके अंधेरे जीवन को रोशन करने का कार्य किया है। आपका कार्य समस्त मानव के कल्याण के लिए है। आपने सभी के जीवन में एक आध्यात्मिक उजाला लाने का काम किया है। आपका व्यक्तित्व, आपका जीवन हम सबको मार्गदर्शन प्रदान करने वाला है। आपकी यात्रा वर्षों तक मानव कल्याण की दिशा प्रदान करेगी और आने वाले समय में देश व दुनिया में शांति, सद्भावना व नैतिकता का विचार प्रदान करती रहेगी। मैं प्रभु से यहीं कामना करता हूं कि आप शताब्दी तक जीएं और आध्यात्मिक ज्ञान के माध्यम से सम्पूर्ण समाज को उजाला प्रदान करते रहें। मैं पुनः आपको वंदन करता हूं।
भौतिकता से ऊपर से है साधुता : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण
युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने उपस्थित जनमेदिनी को मंगल पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि आज वि.सं. 2081 है। आज से पचास वर्ष पूर्व वि.सं. 2031 को मुझे संन्यास दीक्षा लेने का महान सौभाग्य प्राप्त हुआ था। कोई-कोई मनुष्य ऐसे होते हैं, जो बचपन में ही साधुता का जीवन स्वीकार कर लेते हैं और धर्म-अध्यात्म पर चलने को तैयार हो जाते हैं। परम पूजनीय आचार्यश्री तुलसी की आज्ञा से मुनिश्री सुमेरमलजी स्वामी ‘लाडनूं’ ने आज के दिन मुझे और मुनि उदितकुमारजी स्वामी एक साथ दीक्षा प्रदान की। संन्यास जीवन की आधी शताब्दी सम्पन्न हुई है और शताब्दी का उत्तर्राध शुरु हुआ है। आचार्यश्री तुलसी के समय दीक्षा हुई और आचार्यश्री महाप्रज्ञजी के सान्निध्य में रहने, साधना, पढ़ने का अवसर मिला। गुरुओं का चिंतन, भाग्य का योग हुआ, जिस संघ में मैं बाल संत के रूप में दीक्षित हुआ था, उस धर्मसंघ का पूरा जिम्मा भी मुझे सौंप दिया गया। उस धर्मसंघ का सर्वोच्च नेतृत्व सौंपा गया। यह पचास वर्षों का समय है। संन्यास व साधुता इतनी बड़ी चीज है कि उसके सामने भौतिक सुविधाएं नाकुछ के समान होती हैं।
राजनीति भी सेवा का अवसर है। राजनीति से जुड़े लोगों का धर्मनीति के लोगों के पास आना हुआ है। संन्यास का जीवन त्याग-संयम का रास्ता है। आज पचास वर्षों की सम्पन्नता का अवसर है। मैं आज गुरुदेव तुलसी व मुनिश्री सुमेरमलजी स्वामी को स्मरण व वंदन करता हूं। आचार्यश्री महाप्रज्ञजी जिन्होंने संघ का सर्वोच्च दायित्व मुझे सौंपा था, मैं उनका भी श्रद्धा के साथ स्मरण करता हूं। मेरे माता-पिता ने मुझे धर्म की ओर आगे बढ़ाया। मेरी दीक्षा में मेरे संसारपक्षीय सर्वज्येष्ठ भ्राता श्री सुजानमलजी का भी योगदान रहा। मेरा यह संन्यास का जीवन तेजस्वी, तेजस्वीतर, तेजस्वीतम बना रहे। साध्वीप्रमुखाजी के चयन का तीसरा वर्ष प्रारम्भ हुआ है। वे खूब अच्छी सेवा देते रहें, स्वास्थ्य अच्छा रहें। साध्वीवर्या, साध्वियां, समणियां, श्रावक-श्राविकाएं खूब अच्छी धर्म की साधना, सेवा करते रहें। आज युवा दिवस भी है। सभी खूब अच्छा विकास का कार्य करते रहें। मेरे सहदीक्षित मुनि उदितकुमारजी स्वामी के प्रति भी मंगलकामना करता हूं।
योगक्षेम वर्ष प्रवास व श्रेणी आरोहण की घोषणा
आचार्यश्री ने घोषणा करते हुए कहा कि 6 फरवरी 2026 को योगक्षेम वर्ष की दृष्टि प्रवेश का भाव है व एक वर्ष से कुछ ज्यादा समय लाडनूं में रहने का भाव है। 2027 के मर्यादा महोत्सव के बाद विहार कर सरदारशहर जाने का भाव है। आज संन्यास की बात है तो समणी अक्षयप्रज्ञा व समणी प्रणवप्रज्ञा के श्रेणी आरोहण की दृष्टि से सूरत में पहला दीक्षा समारोह 19 जुलाई 2024 को साध्वी दीक्षा देने का भाव है।
समस्त मानव जाति व चतुर्विध धर्मसंघ को शुभाशीष
मानवता के मसीहा आचार्यश्री महाश्रमणजी ने समस्त मानव जाति के लिए सद्भावना, नैतिकता व नशामुक्ति की प्रेरणा प्रदान की तथा चतुर्विध धर्मसंघ को शुभाशीष प्रदान करते हुए कहा कि धर्मसंघ की ओर से एक वर्ष का दीक्षा महोत्सव समारोह का आयोजन किया। महासभा, तेरापंथ युवक परिषद, तेरापंथ महिला मण्डल, जैन विश्व भारती आदि-आदि संस्थाओं और श्रावक समाज द्वारा त्याग, संयम के माध्यम से बहुत कार्य हुआ है। हमारा जालना में बहुत महत्त्वपूर्ण प्रवास हुआ। यहां श्री गुरु गणेश तपोधाम में अच्छा स्थान मिला। स्थानकवासी मुनिजी व साध्वीजी भी उपस्थित हैं। आज मूर्तिपूजक साध्वीजी का आना हो गया। बहुत अच्छा सौहार्द का भाव बना रहे। मेरी वीतरागता की साधना और पुष्ट होती रहे, हम सभी खूब अच्छी धर्म-अध्यात्म की साधना होती रहे। ओमजी बिड़ला और रावजी भी खूब राष्ट्र की खूब अच्छी सेवा करते रहें।
अनेक विशेषांक गुरु सन्निधि में लोकार्पित
महासभा की ओर से जैन भारती, तेरापंथ महिला मण्डल व कन्या मण्डल द्वारा गुरु अभ्यर्थना, अभातेयुप के द्वारा तेरापंथ टाइम्स व युवादृष्टि का विशेषांक, जलतेदीप का विशेषांक भी गुरु सन्निधि में संबंधित लोगों द्वारा किया गया। इसके साथ ही आचार्यश्री के मंगलपाठ से आचार्यश्री महाश्रमण दीक्षा कल्याण महोत्सव वर्ष के छहदिवसीय का नव्य, भव्य कार्यक्रम सुसम्पन्न हुआ।