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साथ में रहे धर्म का पाथेय : युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण

aacharya shri mahashraman ji
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– शांतिदूत के स्वागत में जालना बना महाश्रमणमय

– भव्य जुलूस के साथ श्रद्धालुओं ने किया अपने आराध्य का अभिनंदन

– सात दिवसीय प्रवास में आयोजित होंगे कई महत्वपूर्ण कार्यक्रम

16.05.2024, गुरुवार, जालना (महाराष्ट्र) :
जैन श्वेतांबर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अधिशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण जी का आज जालना में भव्य प्रवेश हुआ। लगभग सात दिनों के प्रवास हेतु जालना में पधारे आचार्यश्री के स्वागत में ऐसा लग रहा था मानों पूरा जालना महाश्रमणमय बन गया हो। विशाल स्वागत जुलूस में बच्चों से लेकर वरिष्ठ जन तक आचार्य श्री स्वागत में पलक पांवड़े बिछाए खड़े थे। नगर के प्रमुख मार्गों से होते हुए जुलूस जब जा रहा था तो पूरा वातावरण जय जय महाश्रमण के नारों से गुंजायमान हो उठा। गुरुदेव के पदार्पण की इतने वर्षों की प्रतीक्षा आज पूर्ण होने पर श्रद्धालुओं का उत्साह हर्ष हिलोरे ले रहा था। हर कोई अपने आराध्य की एक झलक पाने लालायित हो रहा था। गुरुदेव भी मार्ग में सभी को अपने आशीर्वाद से कृतार्थ करते हुए मंगलपाठ प्रदान करा रहे थे।

छत्रपति संभाजीनगर को अपनी धर्म देशना से पावन बनाने के पश्चात आचार्यश्री का सात दिवसीय प्रवास हेतु जालना पदार्पण हुआ है। इस प्रवास में एक ओर जहां 17 मई को आचार्य श्री का जन्मोत्सव, 18 मई आचार्य पदारोहण दिवस एवं 22 मई को दीक्षा कल्याण महोत्सव मुख्य रूप से आयोजित है वही विविध धार्मिक कार्यक्रम, गोष्ठियां आदि भी आयोजित है। आचार्य श्री ने सुबह नागेवाडी के मत्स्योदरी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी से मंगल विहार किया। जुलूस के साथ साथ आचार्य श्री ने शहर के जैन मंदिर एवं उपाश्रय आदि में पगलिया किए। लगभग 10 किमी विहार पश्चात गुरु गणेश तपोधाम में आचार्यश्री का प्रवास हेतु प्रवेश हुआ। इस अवसर पर यहां पहले से मौजूद स्थानकवासी आम्नाय के साधु साध्वियों ने आचार्य श्री की आगवानी की।

मंगल प्रवचन में अध्यात्म वाणी फरमाते हुए युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण ने कहा कि कोई जैन हो चाहे अजैन, धर्म साधना कोई भी कर सकता है। अणुव्रत की साधना में किसी धर्म विशेष से जुड़ाव नहीं होता, इसमें अहिंसा और संयम की प्रमुखता होती है। मैं नॉनवेज नहीं खाऊँगा– चाहे कोई होटल हो, चाहे होस्टल हो चाहे हॉस्पिटल ऐसा दृढ़ संकल्प होना चाहिए। आप कहीं भी जाएं, नॉनवेज का सेवन न हो, ऐसा प्रयास करना चाहिए। जीवन में जितना संभव हो सके अहिंसा, संयम व तप की साधना करने का प्रयास हो।

गुरुदेव ने आगे बताया कि उम्र के साथ आदमी को और अधिक सतर्कता जीवन जीने का प्रयास करना चाहिए। नॉनवेज के साथ जमीकंद का भी परिहार हो। सामायिक आदि की साधना भी चलती रहे। एक दिन सबको आगे जाना है, अतः मार्ग में पाथेय व टिफिन की भी व्यवस्ता कर लेने का प्रयास होना चाहिए। आदमी के चिंतन में सपाथेय व अपाथेय की बात भी रहे। धर्म का पाथेय जिसके साथ रहता है, उसे विशेष चिंता नहीं होती। मैं प्रतिदिन धर्म-साधना करूं, ताकि मेरी आत्मा का कलश संयम की बूंदों से भर जाए, ऐसा कल्याणकारी चिन्तन हो तथा उसके अनुरूप प्रयास भी हो। ईमानदारी, सद्भावना, नैतिकता व नशा मुक्ति का क्रम जीवन चलता रहे। धन छोटी व धर्म बड़ी सम्पति है। एक बाह्य, भौतिक व लौकिक तथा दूसरी आत्मिक व लोकोत्तर सम्पति है। भगवान महावीर ने बड़ी सम्पति प्राप्त की व वैशाख शुक्ला दशमी को केवलज्ञान की प्राप्ति कर ली। वैशाख महीना एक विशेष महिना है, जिसमें अक्षय तृतीया व कितने शुभ दिन आते हैं। महावीर ने साढ़े बारह वर्ष की साधना भी की। उनका नाम, वाणी व शास्त्र हमारी आत्मा के लिए कल्याणकारी व त्राणकारी है।

भावाभिव्यक्ति के क्रम में मुनि चिन्मय कुमार जी ने अपने विचार रखे। स्वागत प्रस्तुति में तेरापंथ सभा जालना अध्यक्ष श्री सुनील सेठिया, तपोधाम की ओर से श्री धर्मचंद गादिया, श्री परेश धोका आदि ने वक्तव्य दिया। सकल तेरापंथ समाज, तेरापंथ युवक परिषद, तेरापंथ कन्या मंडल, ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियो ने पृथक पृथक गीत की प्रस्तुति द्वारा गुरुदेव की अभिवंदना की।

Aacharya Shri Mahashraman ji with his Elder Brother
Aacharya Shri Mahashraman ji with his Elder Brother

aacharya shri mahashraman ji
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