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दो युगप्रधान गुरुओं के जन्म व महाप्रयाण का हुआ है अद्भुत संयोग : महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमण

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– एक दिन में कई विहार कर शांतिदूत कर रहे श्रद्धालुओं की भावना पूरी

– वर्तमान अधिशास्ता ने अपने दोनों सुगुरुओं को श्रद्धा के साथ किया स्मरण

23 जून, 2025, सोमवार, अहमदाबाद (गुजरात)।
अहमदाबाद नगर को पावन बनाने के लिए गतिमान ज्योतिचरण एक दिन में कई उपनगरों का स्पर्श कर रहे हैं, जो श्रद्धालुओं को हर्षविभोर बना रहा है। अपने आराध्य की ऐसी कृपा को प्राप्त कर अहमदाबादवासी प्रणत हैं। सोमवार को प्रातःकाल जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना के साथ गतिमान हुए। श्रद्धालुओं पर कृपा बरसाते, सभी को अपने मंगल आशीष से आध्यात्मिक अभिसिंचन प्रदान करते हुए निरंतर गंतव्य की ओर बढ़ते जा रहे थे। कहीं अल्प प्रवास तो कहीं पावन प्रवचन व कहीं प्रवचन पश्चात प्रवास तथा कहीं रात्रिकालीन प्रवास, मानों पूरे दिन ही चलना, किन्तु अपने भक्तों पर कृपा बरसाने के लिए युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी की परिश्रमपूर्ण नगर यात्रा जन-जन को प्रणत बना रही थी। आचार्यश्री विहार व अल्पप्रवास करते हुए आज के मुख्य मंगल प्रवचन कार्यक्रम के लिए ठाकोरभाई देसाई हॉल-लॉ गार्डन में पधारे।
गार्डन परिसर में बने ऑडिटोरियम में आयोजित मंगल प्रवचन में महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी ने पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि मानव जीवन में प्रज्ञा का महत्त्वपूर्ण स्थान है। आदमी के भीतर निर्मल ज्ञान प्रगट होता है। ज्ञान के साथ राग-द्वेष के साथ जुड़ जाता है तो वह ज्ञान मलीन हो जाता है। जो ज्ञान राग-द्वेष से मुक्त होता है, वह मात्र ज्ञान है। एक आदमी धर्मग्रन्थ पढ़ता है और वैराग्य भाव के साथ उसका अध्ययन करता है, वह अमोह की ओर आगे बढ़ सकता है। ज्ञान के साथ राग-द्वेष जुड़ता है तो वह अशुभ योग हो जाता है।
मन, वचन और काया की प्रवृत्तियां उज्ज्वल भी और मैली भी हो सकती हैं। मोह का योग हो गया तो योग अशुभ बन गया, मोह कर्म का वियोग हो गया तो योग उज्ज्वल रह सकता है। मोहनीय कर्म की रजें योग रूपी जल में गिर जाती हैं तो ज्ञान मलीन बन जाता है। आदमी को स्मृति का संयम करने का प्रयास करना चाहिए। ज्ञान व प्रज्ञा अपने आप में निर्मल चीज है।
आज आषाढ़ कृष्णा त्रयोदशी है। आज आचार्यश्री महाप्रज्ञजी का जन्मदिवस है। आषाढ़ कृष्णा त्रयोदशी को टमकोर में उनका प्राकट्य हुआ। इसी महीने में आचार्यश्री तुलसी का महाप्रयाण हुआ था। आज एक नया संयोग बन गया है कि दिनांक के हिसाब से आचार्यश्री तुलसी का महाप्रयाण दिवस है और आज आषाढ़ कृष्णा त्रयोदशी आ गई तो आचार्यश्री महाप्रज्ञजी का जन्मदिवस आज के दिन आ गया। एक महान आचार्य का प्रस्थान आज के दिन हुआ तो एक आचार्य का जन्म आज के दिन हुआ। जन्म और महाप्रयाण का मानों जोड़ा है। जन्म अकेला नहीं आता, वह मृत्यु को भी अपने साथ लेकर ही आता है, किन्तु मृत्यु का प्राकट्य कब होगा, यह आने पर पता चलता है। आज का दिन हमारे दोनों सुगुरुओं से जुड़ा हुआ है।
आचार्यश्री तुलसी जैन शासन के विशिष्ट आचार्य थे। उनका कार्य क्षेत्र जैन शासन की सीमा से पार का भी था। मानव जाति के लिए भी उन्होंने कार्य किया था। तेरापंथ के आचार्य थे तो तेरापंथ के लिए उन्होंने कितना श्रम और समय लगाया। जैन शासन के लिए जैन आगमों का संपादन का कार्य भी दोनों आचार्यों से जुड़ा हुआ है। आगम कार्य के वाचना प्रमुख आचार्यश्री तुलसी थे और इस कार्य को आगे बढ़ाने में मेरुदण्ड के समान आचार्यश्री महाप्रज्ञजी थे। उनमें विशेष प्रज्ञा थी। दस आचार्यों में सबसे अधिक आयुष्य प्राप्त करने आचार्यश्री तुलसी व आचार्यश्री महाप्रज्ञजी थे। दोनों ही आचार्य युगप्रधान भी हुए। आचार्यश्री महाप्रज्ञजी अपने गुरु की विद्यमानता में आचार्य बनने का सुअवसर मिला। जीवन के नवमें दशक में अनेक प्रान्तों की यात्रा की। जीवन के अंतिम दिन भी उन्होंने प्रवचन किया। सन् 2002 में अहमदाबाद में पधारे थे। आचार्यश्री महाप्रज्ञजी व भारत के राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जी तो कितने घनिष्ठ थे। वे गुरुदेव की सन्निधि में अनेक अवसरों पर आते थे। आचार्यश्री महाप्रज्ञजी स्वयं प्रेक्षाध्यान किया करते थे और लोगों को कराते भी थी। पढ़ाने के रूप में उनके उपाध्यात्व का भी हमने दर्शन किया। इस दिन को प्रज्ञा दिवस भी कहते हैं। दोनों गुरुओं ने एक-एक चतुर्मास अहमदाबाद व प्रेक्षा विश्व भारती में किया। ऐसे आचार्यों का आज दिन है। हम गुरुओं से मिली शिक्षाओं का चिंतन-मनन करें व अपने जीवन में यथोचित प्रयोग करें।
अहमदाबाद भ्रमण में इस पश्चिम क्षेत्र में आना हुआ है। श्रावक समाज मंे अच्छी धर्म जागरणा होती रहे, यह काम्य है। गुरुदर्शन करने वाले मुनि मदनकुमारजी ने अपनी श्रद्धाभिव्यक्ति दी। आचार्यश्री ने उन्हें मंगल आशीर्वाद प्रदान किया।
आचार्यश्री के स्वागत में तेरापंथ महिला मण्डल ने गीत का संगान किया। पश्चिम सभा के पूर्व अध्यक्ष श्री पारसमल कोठारी, प्रवास व्यवस्था समिति के उपाध्यक्ष छत्रसिंह बोथरा व पश्चिम सभा के उपाध्यक्ष श्री पवन जैन ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी।

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