– लगभग 9 किलोमीटर का विहार कर महातपस्वी आचार्यश्री पहुंचे जोधपुर गांव
– पी. सेण्टर प्राथमिकशाला में आचार्यश्री ने किया मंगल प्रवास
– भारत के प्रधानमंत्री के छोटे भाई श्री पंकजभाई मोदी ने भी किए आचार्यश्री के दर्शन
8 जून, 2025, रविवार, जोधपुर, महिसागर (गुजरात)।
गुजरात की धरा को पावन बनाते हुए जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अहिंसा यात्रा प्रणेता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी अब धीरे-धीरे गुजरात में अपने लगातार दूसरे चतुर्मास के लिए गुजरात की राजधानी अहमदाबाद की ओर बढ़ रहे हैं। अहमदाबाद के कोबा में स्थित प्रेक्षा विश्व भारती मंे शांतिदूत आचार्यश्री वर्ष 2025 का चतुर्मास करेंगे। इसे लेकर अहमदाबादवासियों का उत्साह अपने चरम पर है। प्रतिदिन श्रद्धालु पूज्यचरणों में पहुंच रहे हैं। रविवार को प्रातःकाल की मंगल बेला में जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता अपनी धवल सेना संग वीरपुर से गतिमान हुए। वीरपुरवासियों ने शांतिदूत का दर्शन कर पुनः आशीर्वाद प्राप्त किया। लोगों को आशीष प्रदान करते हुए आचार्यश्री अगले गंतव्य की ओर गतिमान थे।
विहार के दौरान मार्ग में भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के सबसे छोटे भाई व गुजरात राज्य के सूचना विभाग के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर श्री पंकज मोदी ने दर्शन किए तो आचार्यश्री ने उन्हें मंगल आशीर्वाद भी प्रदान किया। वे आचार्यश्री की यात्रा में पैदल भी चले। आचार्यश्री लगभग नौ किलोमीटर का विहार कर जोधपुर में स्थित पी. सेण्टर प्राथमिकशाला में पधारे।
स्कूल परिसर में आयोजित मुख्य मंगल प्रवचन कार्यक्रम में भी पंकज मोदी की श्रद्धाभक्ति देखी जा सकती थी। वे आचार्यश्री के सन्निकट भूमि पर ही बैठे हुए थे। आचार्यश्री ने समुपस्थित श्रद्धालुओं को पावन प्रतिबोध प्रदान करते हुए कहा कि जीवन में भाग्य और पुरुषार्थ का अपना-अपना महत्त्व है। कभी पिछले जन्मों की पुण्याई का शुभ फल इस जन्म में भी भोगने को मिल सकता है। चौरासी लाख जीव योनियों में मनुष्य जीवन दुर्लभ है। इसी मानव जीवन से उत्कृष्ट साधना कर मोक्ष को प्राप्त किया जा सकता है। मनुष्य जीवन को एक पूंजी मान लिया जाए तो कोई ऐसे भी मनुष्य हैं जो इस मानव जीवन रूपी पूंजी को पापों में लगाकर गंवा रहे हैं और बाद में फिर वे नरक गति में जाने के हकदार बन जाते हैं।
कुछ मनुष्य ऐसे भी होते हैं जो अपने जीवन में पाप तो नहीं करते, किन्तु कोई धर्म, ध्यान, साधना आदि भी नहीं करते हैं तो वे मानों अपने मनुष्य जीवन रूपी पूंजी को यथावत रख लेते हैं वे बाद में पुनः मानव जीवन को प्राप्त कर सकते हैं। कई मनुष्य ऐसे होते हैं जो तपस्या, साधना, धर्म, ध्यान आदि का पालन करते हैं। झूठ, कपट, छल आदि से बचते हुए कई साधु बन जाते हैं तो कई गृहस्थ जीवन में भी संयमी और त्यागी होते हैं। ऐसे लोग अगले जीवन में देवगति को प्राप्त करने वाले हो सकते हैं।
सभी मानवों को यह विचार करना चाहिए कि सौभाग्य से प्राप्त मानव जीवन रूपी पूंजी को कैसे अधिक बढ़ाया जाए। आदमी को आगे के जीवन के धर्म, पुण्य आदि के लिए संचय करने का प्रयास करना चाहिए। हालांकि मोक्ष की साधना तो उत्कृष्ट लक्ष्य होना चाहिए, न हो तो भी अपने जीवन में साधना करने का प्रयास करना चाहिए। जितनी अनुकूलता हो व्रत, उपवास हो, साधना, ध्यान, जप, तप, नियम, प्रतिज्ञाएं, संकल्प आदि होते हैं तो जीवन रूपी पूंजी वृद्धिगंत हो सकती है। आचार्यश्री ने उपस्थित जनता को सद्भावना, नैतिकता व नशामुक्ति की प्रेरणा देते हुए सादा जीवन, उच्च विचार रखने की प्रेरणा भी दी।
आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के उपरांत गुजरात सूचना विभाग के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर श्री पंकजभाई मोदी तथा प्राथमिकशाला के प्रिंसिपल श्री जयंती परमार ने अपनी श्रद्धा भावनाओं को अभिव्यक्ति दी व आचार्यश्री से मंगल आशीष प्रदान किया। श्री पंकजभाई मोदी की अति प्रबल भावना को देखते हुए आचार्यश्री ने उन्हें चरणस्पर्श का अवसर भी प्रदान किया, जिसे प्राप्त कर वे अत्यंत आह्लादित नजर आ रहे थे। गुरु की इस कृपा को देखकर श्रद्धालु अपने आराध्य के प्रति प्रणत नजर आ रहे थे।
