– 11 कि.मी. का विहार कर मालपुर में पधारे युगप्रधान आचार्यश्री
– श्री पी.जी. मेहता हाईस्कूल पूज्यचरणों से बना पावन
– साध्वी कीर्तियशाजी की स्मृति सभा का हुआ आयोजन
– आचार्यश्री के स्वागत में मालपुरवासियों ने दी भावनाओं की अभिव्यक्ति
3 जून, 2025, मंगलवार, मालपुर, अरवल्ली (गुजरात)।
गुजरात के अरवल्ली जिले के ग्रामीण क्षेत्रों को अपनी पदरज से पावन बनाने के लिए जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें देदीप्यमान महासूर्य आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना के साथ निरंतर गतिमान हैं। ज्योतिचरण के स्पर्श से कभी राष्ट्रीय राजमार्ग तो कभी राजकीय राजमार्ग, कभी ग्रामीण मार्ग तो कभी-कभी कच्ची पगडंडियां भी पावन बनती हैं।
मंगलवार को प्रातःकाल की मंगल बेला में जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी इपलोड़ा से गतिमान हुए तो आसमान में बादलों की विशेष उपस्थिति थी जो राहगीरों को यात्रा में राहत प्रदान कर रही थी। ग्रामीण संकरे मार्ग के दोनों ओर स्थित हरे-भरे खेत व सड़क के किनारे हरे-भरे वृक्षों को सहलाते हुए बहती ब्यार सुखद अनुभव करा रही थी, लेकिन जैसे-जैसे आचार्यश्री आगे बढ़ते जा रहे थे, सूर्य की तीव्र किरणें धरती को गर्म कर रही थीं। लगभग ग्यारह किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री मालपुर में स्थित श्री पी.जी. मेहता हाईस्कूल में पधारे। जहां मालपुरवासियों ने आचार्यश्री का भावभीना स्वागत किया।
स्कूल परिसर में आयोजित मुख्य मंगल प्रवचन कार्यक्रम में समुपस्थित जन समुदाय को युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि इस दुनिया में कई चीजें सुलभ होती हैं तो कई चीजें मनुष्य के लिए दुर्लभ भी होती हैं। कोई चीज बड़ी आसानी से प्राप्त होती है और कोई चीज काफी प्रयत्न करने से भी नहीं मिलने वाली तथा कभी बहुत मुश्किल से ही प्राप्त होती है। जिस प्रकार मिट्टी तो सामान्यतया सभी जगह प्राप्त हो जाए, किन्तु सोना सभी जगह प्राप्त नहीं होता, इसी प्रकार चौरासी लाख जीव योनियां बताई गई हैं, उनमें मनुष्य जन्म सोने के समान है, जो हर किसी को नहीं मिलता। वनस्पतिकाय अनंत जीवों के लिए कितना सुलभ होता होगा। अनंत-अनंत जीव अनेक वर्षों से वहीं जन्म लेते हैं और वहीं मर जाते हैं। वनस्पतिकाय ही उनका अब तक घर बना हुआ है। जितने जीव मोक्ष को प्राप्त होते हैं, उतने अव्यवहार राशि वाले जीव व्यवहार राशि में आते हैं। प्रकृति मानों संतुलन बनाए रखती है। इस प्रकार मनुष्य जन्म दुर्लभ है, जो अभी हम लोगों को सुलभ रूप में प्राप्त है।
इस जीवन में आत्मकल्याण के लिए जो कुछ भी करना है, आदमी को कर लेने का प्रयास करना चाहिए। जीवन तो हर क्षण बीत रहा है, इसलिए जो भी करना है, आदमी को यथाशीघ्र कर लेने का प्रयास करना चाहिए। जब तक शरीर ठीक है, अनुकूलता है, तब तक आदमी को जो भी धर्म, ध्यान, सेवा आदि का कार्य कर लेने का प्रयास करना चाहिए। यह शरीर अधु्रव, अशाश्वत है। इसी प्रकार धन, संपत्ति भी अधु्रव व अशाश्वत है। आदमी को अपने जन्मदिवस पर प्रसन्नता के साथ इस बात पर भी ध्यान देना चाहिए कि उस आदमी के जीवनकाल का एक वर्ष और कम हो गया है। इसलिए आदमी को जितना संभव हो सके, अपने जीवन में धर्म का संचय करने का प्रयास करना चाहिए। संवर-निर्जरा रूपी थाति का संचय करने का प्रयास करना चाहिए।
एक उम्र के बाद जितना संभव हो सके, आदमी को अपनी आत्मा की ओर रहने का प्रयास करना चाहिए। 75 वर्ष आ गए हैं तो आदमी को अब धीरे-धीरे निवृत्ति व संन्यास की ओर आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए। साधु न बनें तो भी गृहस्थ जीवन में रहते हुए भी संन्यासी के रूप में ही रहने का प्रयास करना चाहिए। धर्म, ध्यान, साधना, जप, तप, स्वाध्याय आदि के द्वारा अपनी आत्मा के कल्याण का प्रयास करना चाहिए। अपद अवस्था में रहकर आदमी को धर्म की ओर आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए। जीवन की विभिन्न सक्रियताओं से बचते हुए, निवृत्ति की दिशा में आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए। राजनीति, समाज अथवा कोई व्यवसाय हो, इन सभी से निवृत्त होकर अच्छा मानव बनने का प्रयास करना चाहिए। इसलिए इस दुर्लभ मानव जीवन में श्रुति हो, श्रद्धा हो, संयम मंे पराक्रम हो तो आत्मा का कल्याण संभव हो सकता है।
मालपुर के पूर्व विधायक श्री जसुभाई पटेल, तालुका पंचायत प्रमुख श्रीमती भाग्यश्रीबेन, श्री पी.जी. मेहता हाईस्कूल के प्रिंसिपल श्री सौरभ भाई, श्री राजकुमार पोरवाल, श्री पंकज माण्डोत ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। आचार्यश्री ने उन्हें मंगल आशीर्वाद प्रदान किया।
आचार्यश्री के मंगल सान्निध्य में साध्वी कीर्तियशाजी (गंगाशहर) की स्मृति सभा का आयोजन हुआ। आचार्यश्री ने उनका संक्षिप्त जीवन परिचय प्रस्तुत करते हुए उनकी आत्मा के प्रति आध्यात्मिक मंगलकामना करते हुए चतुर्विध धर्मसंघ के साथ चार लोगस्स का ध्यान कराया। उनके संदर्भ में मुख्यमुनिश्री महावीर कुमारजी, साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभाजी ने अपने उद्गार व्यक्त किए।
पुनः प्रारम्भ हुए स्वागत समारोह में मालपुर के बच्चों ने नशामुक्ति पर अपनी प्रस्तुति दी। श्री ऋषि देरासरिया, श्री हार्दिक माण्डोत, बालक धैन माण्डोत तथा वयोवृद्ध श्री वरदीचंद पोरवाल ने अपनी अभिव्यक्ति दी। मालपुर की कन्याओं ने भी स्वागत गीत का संगान किया। मालपुर स्थानकवासी समाज के अग्रणी श्री प्रकाश देरासरिया ने भी अपनी श्रद्धाभिव्यक्ति दी।
