– लगभग 9 कि.मी. का विहार कर इपलोड़ा पधारे शांतिदूत
– श्री जयंतीभाई शर्मा का निवास स्थान पूज्यचरणों से बना पावन
2 जून, 2025, सोमवार, इपलोड़ा, अरवल्ली (गुजरात)।
मेघरज की जनता को आध्यात्मिकता की पावन प्रेरणा प्रदान करने के उपरांत सोमवार को प्रातःकाल जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, अखण्ड परिव्राजक आचार्यश्री महाश्रमणजी ने मंगल प्रस्थान किया तो मेघरजवासियों ने अपने आराध्य को वंदन कर मंगल आशीर्वाद प्राप्त किया। ग्रामीण मार्ग से यात्रायित आचार्यश्री के आशीष का लाभ उस मार्ग पर स्थित कई ग्रामवासियों को भी प्राप्त हुआ। लगभग नौ किलोमीटर का विहार कर युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी इपलोड़ा में स्थित श्री जयंतीभाई शर्मा के निवास स्थान में पधारे। महान संत के अपने आंगन में पदार्पण से शर्मा परिवार हर्षविभोर था।
शर्मा परिवार के निवास स्थान पर ही आयोजित प्रातःकालीन मुख्य मंगल प्रवचन कार्यक्रम में उपस्थित श्रद्धालु जनता को शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने पावन प्रतिबोध प्रदान करते हुए कहा कि आगम में प्रेरणा दी गई है कि सदा स्वाध्याय में रत रहो। मानव जीवन में ज्ञान का बहुत महत्त्व है। ज्ञान लौकिक विद्याओं का भी होता है और आध्यात्मिक विद्याओं का भी होता है। लौकिक विद्याओं का अपना महत्त्व है तो आध्यात्मिक ज्ञान आत्मा की दृष्टि से और लोकोत्तर दृष्टि से महत्त्वपूर्ण होता है।
स्वाध्याय करते रहने से कई कंठस्थ किए हुए ज्ञान सुरक्षित रह सकते हैं। सीखे गए दोहों का पुनरावर्तन न हो तो वह भूल भी सकता है। इसलिए पुनरावर्तन भी होना चाहिए। बच्चों को केवल भौतिक ज्ञान ही नहीं, आध्यात्मिक ज्ञान भी देने का प्रयास करना चाहिए। कोरी भौतिकता के ज्ञान से जो समस्या हो सकती है, वह आध्यात्मिक ज्ञान हो जाने से समस्याओं का समाधान हो जाता है। बच्चे अनेक स्थानों पर जाकर ज्ञान प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। इसके साथ बच्चों को धार्मिक और आध्यात्मिक ज्ञान कराना भी बहुत जरूरी है। बच्चों में अच्छा ज्ञान हो, आध्यात्मिक रूप से भी शिक्षित हों और संस्कारित रहें तो बच्चे बड़े होकर अच्छे बन सकते हैं।
अच्छी कहानियों से बच्चों को कितना ज्ञान मिलता है। आज के आधुनिक उपकरणों से भी बच्चों को ज्ञान की प्राप्त हो सकती है। भौतिकता को जानने की आवश्यकता है तो धार्मिक ज्ञान का होना भी आवश्यक है। कोरी भौतिकता कहीं समस्या जनक भी हो सकती है। उन समस्याओं से बचने के लिए आध्यात्मिकता का प्रभाव भी होना चाहिए। भौतिकता के साइड इफेक्ट से बचने के लिए धार्मिकता रूपी दवा का होना बहुत आवश्यक है। इसलिए अपना समय स्वाध्याय में लगाने का प्रयास करना चाहिए। स्वाध्याय के समय प्रमाद से बचने का प्रयास करना चाहिए। नॉलेज अनेक प्रकार का हो सकता है। ज्ञान बहुत उपयोगी होता है। धर्म की अच्छी बातें कल्याण करने वाली होती हैं। इसलिए आध्यात्मिक ज्ञान को भी ग्रहण करने का प्रयास करना चाहिए। ग्रन्थों को पढ़ने का प्रयास करना चाहिए। पढ़ते-पढ़ते कभी-कभी अच्छे ज्ञान रूपी रत्न भी प्राप्त कर सकते हैं। इसलिए स्वाध्याय करने का प्रयास करना चाहिए।
आज यहां संतों का समागमन हुआ है। संतों का समागमन और हरि कथा बहुत दुर्लभ होती है। यहां के लोगों में खूब अच्छी धार्मिक भावना बनी रहे, यह काम्य है। मंगल प्रवचन के उपरांत आचार्यश्री के स्वागत में गृहस्वामी श्री जयंतीभाई शर्मा ने अपनी श्रद्धाभिव्यक्ति दी। अन्य पारिवारिक सदस्यों व ग्रामीण श्रद्धालुओं ने आचार्यश्री के दर्शन किए और मंगल आशीर्वाद प्राप्त किया।
