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समय का करें अच्छा प्रबन्धन : शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमण

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– ज्योतिचरण की चरणरज पाकर खिल उठी मोडासा की धरती

– 11 कि.मी. का विहार कर शांतिदूत पहुंचे मोडासा, मोडासावासियों ने किया भावपूर्ण अभिनंदन

– अनेक गणमान्यों सहित मोडासावासियों ने दी भावनाओं को अभिव्यक्ति

29 मई, 2025, गुरुवार, मोडासा, अरवल्ली (गुजरात)।
भारत के विभिन्न हिस्सों में निर्धारित समय से एक सप्ताह पहले ही सक्रिय हो चुके मानसून ने भारतीय लोगों को गर्मी से राहत प्रदान की है। इसके साथ देश के विभिन्न हिस्सों में आंधी-तूफान के साथ हो रही बरसात ने गर्मी को नियंत्रित किया है, किन्तु प्रकृति के इन बदलावों से अप्रभावित जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता, अखण्ड परिव्राजक आचार्यश्री महाश्रमणजी की परिव्राजकता अनवरत गतिमान है। जन-जन के मानस को सद्भावना, नैतिकता व नशामुक्ति की प्रेरणा देते हुए आचार्यश्री गुजरात राज्य की पग-पग की भूमि को मानों आध्यात्मिकता से भावित बना रहे हैं। आचार्यश्री वर्तमान समय में गुजरात राज्य के अरवल्ली जिले में गतिमान हैं।
गुरुवार को प्रातःकाल की मंगल बेला में अखण्ड परिव्राजक जैन श्वेताम्बर तेरापंथाधिशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी ने उम्मेदपुर से मंगल प्रस्थान किया। आचार्यश्री जैसे-जैसे आगे बढ़ते जा रहे थे, दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या भी मानों वृद्धिंगत हो रही थी। सभी को मंगल आशीष प्रदान करते हुए युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी अगले गंतव्य की ओर बढ़ते जा रहे थे। लगभग 11 किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री जैसे ही मोडासा नगर की सीमा के निकट पधारे, उनकी प्रतीक्षा में खड़े सैकड़ों लोगों ने आचार्यश्री का हार्दिक अभिनंदन किया। सभी को मंगल आशीर्वाद प्रदान करते हुए आचार्यश्री मोडासा के श्री जीरावला लब्धि-विक्रम धाम, पार्श्वनाथ 24 तीर्थंकर परिसर में पधारे। संबंधित लोगों ने आचार्यश्री का भावभीना स्वागत एवं अभिनंदन किया।
इस परिसर में आयोजित प्रातःकालीन मुख्य मंगल प्रवचन कार्यक्रम में समुपस्थित जनता को महातपस्वी, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि जैन दर्शन में षटद्रव्य का दर्शन है। कोई पूछे कि यह लोक अथवा दुनिया क्या है तो इसका उत्तर दिया गया कि यह लोक दुनिया वह चीज है, जहां छह द्रव्य होते हैं। इन छह द्रव्यों में चौथा द्रव्य है-काल। सृष्टि में समय भी एक द्रव्य है। समय एक ऐसा द्रव्य है जो सबको मिलता है। हर आदमी को समय मिलता है। प्रश्न है कि यह समय किस प्रकार व्यतीत होता है। आदमी समय का बढ़िया उपयोग भी कर सकता है और घटिया उपयोग भी कर सकता है।
जो आदमी समय का बढ़िया उपयोग करता है, वह दुनिया का बढ़िया आदमी होता है और जो समय का घटिया उपयोग करता है, वह दुनिया का घटिया आदमी होता है। आदमी को अपने समय का बढ़िया सदुपयोग करने का प्रयास करना चाहिए। प्रत्येक आदमी को 24 घंटे का समय मिलता है, वह अपने समय का कैसा उपयोग करता है, यह विचारणीय है। चौबीस घंटों में कुछ सामान्य कार्य तो सभी करते हैं। जैसे भोजन, पानी, सोना आदि। यह सामान्य कार्य होता है। यह कार्य तो सभी प्राणी ही करते हैं, वह चाहे घटिया हो अथवा बढ़िया आदमी हो।
गृहस्थ जीवन में अपने दैनिक जीवन को सुव्यवस्थित करके थोड़ा समय धर्म के लिए निकालने का प्रयास करना चाहिए। ध्यान, स्वाध्याय, जप, आदि का कार्य किया जा सकता है। शास्त्र में कहा गया है कि जो रात बीत जाती है, वह लौट कर नहीं आती। जो आने वाला समय है, उसका प्रबन्धन करने का प्रयास करना चाहिए। समय का अच्छा प्रबन्धन हो तो जीवन का भी अच्छा प्रबन्धन हो सकता है। जीवन में कभी कार्य ज्यादा हो तो भी आदमी अपने समय का प्रबन्धन अच्छे ढंग से कर ले तो कार्य को सम्पन्न भी कर सकता है और तनाव से भी बच सकता है। सभी को अपने कर्त्तव्यों के प्रति जागरूक रहने का प्रयास करना चाहिए।
आचार्यश्री ने मोडासावासियों को मंगल आशीर्वाद प्रदान किया। आचार्यश्री के स्वागत में मोडासा तेरापंथी सभा के अध्यक्ष श्री गौतम छाजेड़, श्री सुमेरमल भंसाली ने अपनी श्रद्धाभिव्यक्ति दी। स्थानीय तेरापंथ महिला मण्डल ने स्वागत गीत का संगान किया। श्री जीरावला लब्धि-विक्रम धाम के ट्रस्टी श्री रणधीर भाई, श्री सुरेश कोठारी, श्री सुरेशभाई त्रिवेदी, श्री प्रभुदासभाई पटेल गुजरात प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री श्री अरुणभाई पटेल ने भी अपनी अभिव्यक्ति दी। मोडासा ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपने आराध्य के अभिनंदन में अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी। पूर्व विधायक श्री जसुभाई पटेल ने अपनी अभिव्यक्ति दी तथा आचार्यश्री से मंगल आशीर्वाद प्राप्त किया।

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