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गुडमैन बने आदमी : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण

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– लगभग 9 किलोमीटर का विहार कर बडोली में पधारे शांतिदूत

– श्री आर.एच. जानी हिंगवाला हाइस्कूल पूज्यप्रवर के पदरज से बना पावन

– बडोलीवासियों ने अपनी भावनाओं की दी प्रस्तुति

24 मई, 2025, शनिवार, बडोली, साबरकांठा (गुजरात)।
आदमी के भीतर अनेक प्रकार की वृत्तियां होती हैं, भाव होते हैं। भावों का भण्डार आदमी के भीतर होता है। इसलिए आदमी कभी क्षमा में दिखाई देता है तो कभी गुस्से में भी आ जाता है। कभी मार्दवपूर्ण व्यवहार करता है तो कभी अहंकार की भाषा भी बोलता है। कभी सरल लगता है तो कभी छल-कपट की भाषा भी बोलता है। कभी संतोषी तो कभी लालच करते भी देखा जा सकता है। कभी हिंसा का भाव तो कभी अहिंसा का भाव भी आदमी के भीतर देखे जा सकते हैं। आदमी के जीवन का एक बढ़िया भाव है-दया। आदमी के भीतर दया की भावना होनी चाहिए। सभी जीवों के प्रति दया का भाव रखने का प्रयास करना चाहिए। स्वयं को पाप आचरणों से बचाने के लिए दया की भावना बहुत महत्त्वपूर्ण होती है।
दुनिया में युद्ध भी होते हैं। युद्ध समरांगण में बाद में, उससे पहले आदमी के भावों में आरम्भ होता है। हिंसा की वृत्ति है तो उसकी प्रवृत्ति भी हो सकती है। आदमी को हिंसा से बचने का प्रयास करना चाहिए बिना मतलब अपनी ओर से किसी को तकलीफ न देने की भावना होनी चाहिए। स्वयं की ओर से किसी को अनावश्यक कष्ट देने से बचने का प्रयास करना चाहिए। कोई पक्षी दाने खा रहे हों तो उनके निकट भी जाने से बचने का प्रयास करना चाहिए। आदमी के मन में दया की इतनी अच्छी भावना रहे कि निरपराध को अपनी ओर से कष्ट तो दें ही नहीं, जितना संभव हो सके, दुश्मनों को भी क्षमा की भावना रखने का प्रयास करना चाहिए।
गृहस्थ जीवन में इतना ध्यान रखें कि जब सामायिक की स्थिति हो तो उस स्थिति में चलने से बचने का प्रयास करना चाहिए। अगर चलना भी पड़े तो सावधानी से देख-देखकर चलने का प्रयास करना चाहिए। उस दौरान किसी कीड़े की भी हिंसा न हो। ऐसी दया व अहिंसा की भावना हम सभी के मन में होनी चाहिए। आचार्यश्री महाप्रज्ञजी प्रेक्षाध्यान कराते थे। समता में रहने और प्रियता-अप्रियता से मुक्त रहने की प्रेरणा प्रदान करते थे। आदमी को अपने जीवन में धर्म के प्रभाव को बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए। कोई जैन न बने, किन्तु उसे गुडमैन तो बनने का प्रयास करना चाहिए। आत्मा को पापों से बचाने के लिए और आत्मा का कल्याण करने के लिए आदमी को गुडमैन बनने का प्रयास करना चाहिए।
उक्त पावन पाथेय शनिवार को जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता, सिद्ध साधक, अखण्ड परिव्राजक आचार्यश्री महाश्रमणजी ने बडोली में श्री आर.एच.जानी हिंगवाला हाइस्कूल प्रांगण मंे बने आचार्य महाश्रमण समवसरण में उपस्थित जनता को प्रदान किया।
इसके पूर्व जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी ने शनिवार को प्रातःकाल की मंगल बेला में इडर से मंगल प्रस्थान किया। इडरवासियों ने अपने आराध्य के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित कर मंगल आशीर्वाद प्राप्त किया। आचार्यश्री अपनी धवल सेना का कुशल नेतृत्व करते हुए अगले गंतव्य की ओर बढ़ चले। आचार्यश्री लगभग नौ किलोमीटर का विहार कर बडोली के श्री आर.एच. जानी हिंगवाला हाइस्कूल में पधारे। जहां श्रद्धालुओं व स्कूल प्रबंधन आदि से जुड़े लोगों ने आचार्यश्री का भावभीना स्वागत किया। स्कूल परिसर में बने आचार्य महाश्रमण समवसरण में आचार्यश्री के पधारने से पूर्व साध्वीप्रमुखाश्रीजी का उद्बोधन प्रारम्भ हुआ जो आचार्यश्री के मंचासीन होने के बाद भी चलता रहा। साध्वीप्रमुखाश्रीजी के उद्बोधन के उपरांत आचार्यश्री ने जनता को पावन पाथेय प्रदान किया।
आचार्यश्री के स्वागत में श्री मितेश श्रीश्रीमाल, श्री आर.एच. जानी हिंगवाला हाइस्कूल के प्रिंसिपल श्री दीपकभाई पटेल, श्रीमती संगीता दुगड़, श्रीमती अल्का दुगड़ व सुश्री प्रेक्षा दुगड़ ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। स्थानीय तेरापंथ महिला मण्डल, ने गीत का संगान किया। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी प्रस्तुति दी।

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