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तेरापंथ धर्मसंघ का आचार्य बनना विशेष भाग्य की बात : युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण

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– महातपस्वी महाश्रमण के 16वें पट्टोत्सव समारोह का दिव्य, भव्य समायोजन

– चतुर्विध धर्मसंघ ने अपने आराध्य को किया वर्धापित

– दो और मुमुक्षुओं को मुनि दीक्षा प्रदान करने की आचार्यश्री ने की घोषणा

7 मई, 2025, बुधवार, पालनपुर, बनासकांठा (गुजरात)।
पालनपुर में एक दिन पूर्व ही जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता, युगप्रधान, शांतिदूत, महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी का 64वां जन्मोत्सव आध्यात्मिक उल्लास व उत्साह के साथ मनाया गया तो बुधवार को पालनपुरवासी प्रातःकाल से ही अपने वर्तमान अधिशास्ता के 16वें आचार्य पदारोहण समारोह के उल्लास में डूबे नजर आए। पालनपुरवासियों का तो मानों सौभाग्य ही प्रतिफलित हो रहा था कि उन्हें वर्तमान अधिशास्ता के जन्मोत्सव और पट्टोत्सव का महनीय आयोजन एक साथ ही प्राप्त हो रहा था।
बुधवार को प्रातः सूर्याेदय से पूर्व ही गुरुकुलवासी संत ही सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु जनता भी परम पूज्य आचार्यश्री महाश्रमणजी को आचार्य पदारोहण दिवस पर वर्धापित करने के लिए उपस्थित थे। गुरु सान्निध्य में उपस्थित साध्वीवृंद ने गीत के द्वारा अपने आराध्य के गुणों का संगान किया।
महाश्रमणोत्सव समवसरण में आयोजित युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी के 16वें पदारोहण दिवस समारोह में आचार्यश्री जैसे मंचासीन हुए, पूरा वातावरण जयघोष से गुंजायमान हो उठा। आचार्यश्री के मंगल महामंत्रोच्चार के समारोह का शुभारम्भ हुआ। संतवृंद ने आचार्यश्री की स्तुति की। साध्वीश्री देवार्यप्रभाजी, साध्वीश्री नवीनप्रभाजी, साध्वीश्री तन्मयप्रभाजी, साध्वीश्री मैत्रीयशाजी ने अपने वक्तव्य के द्वारा अभ्यर्थना की तो साध्वीश्री समताप्रभाजी व साध्वीश्री वैभवप्रभाजी ने गीत के माध्यम से अपनी प्रणति अर्पित की। साध्वीश्री सिद्धांतश्रीजी व साध्वीश्री दर्शितप्रभाजी ने संयुक्त प्रस्तुति दी। साध्वीश्री हेमयशाजी व साध्वीश्री चारित्रयशाजी, समणी हर्षप्रज्ञाजी, समणी संचितप्रज्ञाजी ने अपनी श्रद्धाभिव्यक्ति दी। तदुपरांत संसारपक्ष में गुजरात से संबद्ध साध्वीवृंद और समणीवृंद ने गुजराती भाषा में गीत का संगान किया। साध्वीवृंद ने गीत को सामूहिक प्रस्तुति दी। मुनिश्री अजितकुमारजी, मुनिश्री मृदुकुमारजी व मुनिश्री वर्धमानकुमारजी ने संवादात्मक प्रस्तुति दी। संतवृंद ने भी गीत के द्वारा अपनी श्रद्धाप्रणति अर्पित की।
पालनपुर ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों व स्थानीय तेरापंथ कन्या मण्डल ने अपनी प्रस्तुति दी। श्री परेशभाई मोदी, तेरापंथी सभा, पालनपुर के अध्यक्ष श्री सुभाषभाई खटेड़ ने अपनी अभिव्यक्ति दी। आचार्यश्री के संसारपक्षीय भाई श्री सूरजकरण दुगड़ व श्री सुमतिचंद गोठी ने भी आचार्यश्री को वर्धापित किया। समस्त तेरापंथ समाज की ओर से ‘संस्था शिरोमणि’ महासभा के अध्यक्ष श्री मनसुखलाल सेठिया ने आचार्यश्री को वर्धापित किया। श्रीमती अल्काबेन ने अपनी प्रस्तुति दी। पालनपुर के युवक-युवतियों ने गीत का संगान किया।
साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभाजी ने आज के अवसर पर आचार्यश्री महाश्रमणजी के जीवनवृत्त को रेखांकित किया। मुख्यमुनिश्री महावीरकुमारजी ने भी अपने आराध्य के प्रति श्रद्धाप्रणति अर्पित की। तत्पश्चात तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने अपने पावन उद्बोधन में कहा कि भगवान महावीर लोक में उत्तम हैं। आज वैशाख शुक्ला दशमी है, जो भगवान महावीर का केवलज्ञान प्राप्ति दिवस है। आज के दिन भगवान महावीर की साधना ने एक निष्पत्ति प्राप्त कर ली थी। लम्बे काल से चले आ रहे उनके पराक्रम का फल प्राप्त हो गया था। आदमी पुरुषार्थ करता है तो उसका तत्काल फल मिले अथवा कभी बाद में भी प्राप्त होता है, लेकिन उसका फल प्राप्त अवश्य होता है। उन्होंने अपने पूर्व के जन्मों में भी साधना, आराधना में पुरुषार्थ किया था। आज का दिन ज्ञान का दिवस है। इतना ही नहीं, वीतरागता की प्राप्ति से भी जुड़ा हुआ दिन है। केवलज्ञान प्राप्ति के उन्होंने प्रवचन किए, लोगों को देशना दी। हमारा तेरापंथ धर्मसंघ आचार्यश्री भिक्षु से संबद्ध है। वे हमारे धर्मसंघ के आद्य अनुशास्ता थे। हमारे धर्मसंघ के नवमें आचार्यश्री तुलसी हुए। उनको मैंने साक्षात् देखा था। आज तक के आचार्यों में सर्वाधिक आचार्यकाल प्राप्त करने वाले कीर्तिधर पुरुष थे। पांच दशकों से भी ज्यादा उनका आचार्यकाल रहा था। उनकी शासन प्रणाली एवं उनके प्रबंधन के कार्य को भी देखा था। इतने बड़े साधु-साध्वी व श्रावक समाज का दायित्व मिलना भी बड़ी बात होती है। यह किसी क्षयोपशम और पुण्याई से प्राप्त होता है। मुझे आचार्यश्री तुलसी और आचार्यश्री महाप्रज्ञजी के पास रहने और ज्ञान प्राप्त करने का अवसर मिला।
आज के दिन आचार्यश्री महाप्रज्ञजी के निर्णय के अनुसार धर्मसंघ ने औपारिक रूप में धर्मसंघ के दायित्व की चद्दर ओढाई गई थी और मुझे भगवान महावीर के कैवल्य प्राप्ति की तिथि के साथ जोड़ दिया गया। हमारे साधु-साध्वियां कितना श्रम और सहयोग देने वाले हैं। आज के इस पट्टोत्सव समारोह में मेरे से दीक्षा पर्याय में बड़ा कोई साधु-साध्वियां नहीं हैं। हालांकि सभी साधु-साध्वियां अपनी-अपनी जिम्मेदारी संभालते हैं। सहयोग के बिना काम चलना मुश्किल हो सकता है। अनेक संस्थाओं के माध्यम से भी अच्छे कार्य हो रहे हैं। हमारे श्रावक-श्राविकाएं भी साधु-साध्वियों के विहार सेवा, चिकित्सा सेवा आदि की व्यवस्था का ध्यान देते हैं। इस तंत्र का मुखिया बनने की बात आज के दिन मुझे प्राप्त हुई थी। मेरे साथ मुख्यमुनि भी कितने वर्षों से व्यवस्था आदि कार्यों से जुड़े हुए हैं। संदेश लेखन आदि का कार्य करते हैं। तेरापंथ का आचार्य बनना भी विशेष भाग्य की बात लगती है।
हमारे साध्वियों के इतने बड़े समुदाय की व्यवस्था साध्वीप्रमुखाश्री जी देखती हैं। साध्वीवर्या को साध्वी पर्याय के चौथे साल में ही साध्वीवर्या का पद सौंपा था। साध्वीवर्या अब समणियों आदि के कार्य में लगी हुई हैं। इनका भी अपना सहयोग मिल रहा है। आचार्यश्री ने इस अवसर पर चार महीनों तक विगय से मुक्ति की बक्सीस प्रदान की।
मुमुक्षु अर्हम, मुमुक्षु जीगर को अहमदाबाद चतुर्मास के दौरान 3 सितम्बर को आयोजित होने वाले दीक्षा समारोह में मुनि दीक्षा प्रदान करने की भी आचार्यश्री ने घोषणा की। मुमुक्षु विशाल को साधु प्रतिक्रमण सीखने की अनुमति दी। आचार्यश्री ने छोटी खाटू के मर्यादा महोत्सव में माघ शुक्ला सप्तमी को पंजाब के चतुर्मास के विषय में कहने की भावना व्यक्त की। हमारा धर्मसंघ खूब फलता-फूलता रहे। आचार्यश्री के साथ चतुर्विध धर्मसंघ ने अपने स्थान पर खड़े होकर संघगान किया। इसके साथ ही पट्टोत्सव का आध्यात्मिक समारोह सुसम्पन्न हुआ।

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