मर्यादा वह पतंग की डोर है जिसके सहारे चलने वाला व्यक्ति विकास की उचाईयों को छू सकता है और डोर से टूटने वाला रसातल में भी पहुँच सकता है। उपरोक्त विचार साध्वी श्री कीर्तिलताजी ने करेड़ा के ओसवाल भवन में तेरापंथ धर्मसंघ के 161वें मर्यादा महोत्सव के कार्यक्रम में विशाल जनमेदिनी के बीच रखे। साधी श्री कीर्तिलताजी ने अपने प्रवचन में तेरापंथ धर्मसंघ को नंदनवन की उपमा से उपमित करते हुए कहा इस धर्मसंघ रूपी महल के चार स्तम्भ है। मर्यादा, समर्पण, अनुशासन व आज्ञा।
कार्यक्रम का श्रीगणेश करेड़ा महिला मंडल के सुमधुर गीत से हुआ। साध्वीश्री शांतिलता जी, साध्वीश्री पुनमप्रभा जी व साध्वीश्री श्रेष्ठप्रभा जी ने तेरापंथ, मर्यादा व अनुशासन इस त्रिवेणी के माध्यम से एक रोचक व प्रेरक कार्यक्रम प्रस्तुत किया। तेरापंथ महिता मंडल व कन्या मंडल ने रोचक संवाद प्रस्तुत किया। तेरापंथ युवक परिषद व महिला मंडल ने संयुक्त रूप से गीत का संगान किया। तेरापंथ सभाध्यक्ष गणपत मेड़तताल ने मेहमानों का स्वागत करते हुए अपने विचार रखे। कार्यक्रम संयोजक कैलाश जी चावत ने अपने विचार रखे। साध्वीश्री श्रेष्ठप्रभा जी ने मर्यादा पर अपने विचार रखे। साध्वीश्री शांतिलता जी ने मंच का संचालन किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मेवाड़ कॉन्फ्रेस के अध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने कहा कि वर्ष में 365 दिनों में 700 महोत्सव होते हैं। लेकिन मर्यादा महोत्सव सिर्फ तेरापंथ में है।
कार्यक्रम में महावीर मेड़तवाल, भीलवाड़ा भिक्षु भजन मंडली, मनोज गांधी, जेनिल कोठारी, तेरापंथ महिला मंडल भीलवाड़ा, दौलतगढ़, आमेट, आसींद, गंगापुर, देवगढ़ धवल मांडोत, कौशल मेहता, पवन कच्छारा, दीपांशु झाबक, आनंदबाला टोडरवाल, चंद्रकांता चोरडिया, रोशनलाल चिपड़, योगेश चंडालिया आदि ने अपने विचार एवं गीतिका का संगान किया। सभा मंत्री मनोज चिपड़ ने आभार ज्ञापित किया।
कार्यक्रम में पुर, गंगापुर, लुहारिया, कटार, आमदला, बरार, रघुनाथपुरा, लाछुड़ा, चित्ताम्बा, ज्ञानगढ़, चित्तौड़गढ़, उदयपुर, घोडास, पीथास, बेमाली, रायपुर, देवरिया, तिलोली, बावलास आदि अनेकों गांवों के सैकड़ों श्रावक-श्राविका उपस्थित रहे। संघ गान व मंगल पाठ से कार्यक्रम सम्पन्न किया गया।
