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कायोत्सर्ग कार्यशाला का आयोजन : गंगाशहर

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तेरापंथ महिला मंडल, गंगाशहर द्वारा आयोजित प्रेक्षा प्रवाह-शांति और शक्ति की ओर के अंतर्गत कायोत्सर्ग कार्यशाला में अपने विचार रखते हुए उग्र विहारी तपोमूर्ति मुनिश्री कमल कुमार जी ने कहा कि कायोत्सर्ग का अर्थ है शरीर के प्रति ममत्व को छोड़ना। मनोगुप्ति, वचन गुप्ति और कायगुप्ति से कायोत्सर्ग किया जा सकता है। कायोत्सर्ग सब दुखों का अंत करने वाला है। कायोत्सर्ग बैठ कर, खड़े होकर या लेटकर किया जा सकता है। शरीर को शिथिल और स्थिर करके तनाव मुक्ति से बचा जा सकता है।
मुनिश्री सुमति कुमार जी ने आध्यात्मिक और वैज्ञानिक लाभ बताते हुए कहा कि जहां चंचलता है वहां प्रमाद है और जहां स्थिरता है वहां निर्जरा है। कायोत्सर्ग की महत्ता वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित है जिन मजदूरों या कर्मचारियों को कायोत्सर्ग के प्रयोग करवाए गए हैं वहां उनकी कार्य क्षमता में विकास हुआ है। वे प्रसन्नचित्त रहते हैं और वे पारिवारिक एवं सामाजिक झगड़ों से भी मुक्त रहते हैं। मुनि श्री प्रबोधकुमार जी ने कायोत्सर्ग का प्रयोग करवाया। महिला मंडल की मंत्री मीनाक्षी आंचलिया ने बताया कि आचार्यश्री महाश्रमण जी द्वारा इस वर्ष को प्रेक्षाध्यान कल्याण वर्ष घोषित किया गया है। इस उपलक्ष में अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल और प्रेक्षा फाउंडेशन के तत्वावधान में इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। मंडल की बहनों ने मंगलाचरण किया। अध्यक्षा संजू लालानी ने सभी का आभार करते हुए मुनिश्री श्रेयांश कुमार जी के 13 की तपस्या और मुनिश्री नमि कुमार जी के अठ्ठाई तप पर तप अनुमोदना भी की। कार्यक्रम में श्रावक समाज की अच्छी उपस्थिति रही।

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